समस्तीपुर में पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित किया। नीतीश कुमार मंच पर मौजूद रहे। मोदी ने महागठबंधन और जंगलराज पर हमला किया, विकास और सुशासन पर जोर दिया। एनडीए की एकजुटता और चुनावी रणनीति भी सामने आई।
Bihar News: समस्तीपुर की धरती आज फिर राजनीतिक हलचल से गूँज उठी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए बिहार की आगामी चुनावी तस्वीर के लिए संदेश दिए। मंच पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मौजूद होने ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि बीजेपी और जेडीयू एकजुट हैं। हालांकि, इस एकजुटता के बावजूद राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि इस बार का चुनाव नीतीश कुमार के लिए इतना सहज नहीं होगा जितना पूर्व में हुआ करता था।
प्रधानमंत्री ने अपनी जनसभा में पुराने मंत्र को दोहराते हुए कहा, “बिहार को जंगलराज से बचाना है, सुशासन को लौटाना है।” उन्होंने लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी पर करारा प्रहार किया और व्यंग्य भरे अंदाज में कहा, “जब रोशनी इतनी है तो क्या हमें ‘लालटेन’ की ज़रूरत है?” यह टिप्पणी बिहार की जनता को पिछले दशक के भ्रष्टाचार, अपराध और जातीय राजनीति की याद दिलाने के लिए थी। मोदी का यह भाषण केवल चुनावी वादों का सिलसिला नहीं था, बल्कि जनता से भावनात्मक अपील भी थी।
एनडीए की एकजुटता
मंच से प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार को एनडीए का नेता बताते हुए कहा, “इस बार नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए अब तक का सबसे बड़ा जनादेश हासिल करेगा।” यह बयान नीतीश के पक्ष में समर्थन का संकेत देता है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि बीजेपी ने रणनीति के तहत अपने पत्ते पूरे नहीं खोले हैं।

पूर्व में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि “फिलहाल हम नीतीश जी के नेतृत्व में लड़ रहे हैं, लेकिन चुनाव बाद सहयोगी मिलकर तय करेंगे कि नेता कौन होगा।” इस बयान ने बिहार की सियासत में बेचैनी पैदा कर दी। 2005 के बाद यह पहला मौका है जब नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री कुर्सी पर प्रश्नचिह्न खड़ा हुआ है और वह भी विपक्ष से नहीं, बल्कि अपने सहयोगी दल से।
नीतीश कुमार की राजनीतिक चुनौती
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर बिहार की आधुनिक राजनीति की कहानी है। कभी लालू यादव के साथ गठबंधन, कभी उनके खिलाफ, और कभी बीजेपी के साथ, नीतीश हमेशा राजनीतिक चालों में निपुण रहे हैं। लेकिन इस बार उन्हें नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
बीजेपी, जो कभी जूनियर पार्टनर थी, अब बिहार में बराबरी की सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दोनों दल 101–101 सीटों पर चुनाव मैदान में हैं। यह “बराबरी” केवल सीटों की नहीं, बल्कि ताकत की परीक्षा भी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी के राष्ट्रीय प्रभुत्व ने बिहार में भी नीतीश की छवि को चुनौती दी है।
चुनावी संदेश: विकास बनाम जंगलराज
एनडीए का मुख्य चुनावी संदेश है— “विकास बनाम जंगलराज।” प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को यह समझाने की कोशिश की कि महागठबंधन के सत्ता में आने से राज्य में फिर से अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का दौर शुरू हो जाएगा। मोदी ने लालटेन को अंधकार और पिछड़ेपन का प्रतीक बताया, जबकि विकास और सुशासन को उजाले के रूप में प्रस्तुत किया।
महागठबंधन अपनी ओर से यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि नीतीश का दौर खत्म हो चुका है और अब बदलाव की जरूरत है। लेकिन बिहार का मतदाता भावनाओं के साथ-साथ स्थिरता और नेतृत्व की विश्वसनीयता को भी महत्व देता है। इस संदर्भ में पीएम मोदी का भाषण विकास और स्थिरता के पक्ष में भावनात्मक अपील का काम करता है।












