संभल की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अदालत में शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले की अगली सुनवाई अब 28 अगस्त को होगी। शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील कासिम जमाल ने बताया कि इस मामले की बृहस्पतिवार को सिविल जज आदित्य सिंह की अदालत में सुनवाई हुई।
लखनऊ: संभल के शाही जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर मामले को लेकर लंबे समय से कानूनी जटिलताएं जारी हैं। यह मामला पिछले साल 19 नवंबर 2024 को हिंदू पक्ष की ओर से आठ लोगों द्वारा संभल की जिला अदालत में याचिका दायर करने के बाद चर्चा में आया था। कल, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई।
शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील कासिम जमाल ने बताया कि इस दौरान उन्होंने अदालत में एक अर्जी दाखिल की और इसके साथ उपासना स्थल अधिनियम 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की प्रति भी जमा की।
कल की सुनवाई में क्या हुआ
कासिम जमाल ने बताया, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब तक उपासना स्थल अधिनियम से जुड़े मामलों की सुनवाई लंबित है, पूरे देश में किसी भी मंदिर-मस्जिद विवाद पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यदि संभल की अदालत इस मामले में सुनवाई करती है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन माना जाएगा।
अदालत ने इस पर फैसला करते हुए कहा कि अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को होगी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि किसी पक्ष को कोई आपत्ति है, तो वह इसे दर्ज कराए। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता गोपाल शर्मा ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने स्थानीय अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए संभल की अदालत को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। इसी कारण अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि स्थगित कर दी।
मामले में अबतक की कार्रवाई
पिछले साल 19 नवंबर 2024 को हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन समेत आठ लोगों ने याचिका दायर की थी। इस याचिका के बाद शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया। 19 नवंबर को अदालत के आदेश पर पहला सर्वे हुआ। 24 नवंबर को टीम ने एक बार फिर सर्वे किया। इस दौरान व्यापक हिंसा भड़क गई और गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई। साथ ही 29 पुलिसकर्मी घायल हुए।
पुलिस ने इस मामले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, शाही जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली, और 2750 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। 28 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में अदालत इस बात पर फैसला लेगी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप स्थानीय अदालत आगे क्या कार्रवाई कर सकती है।