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सरकारी स्कूलों में घटते छात्र, लेकिन IIT-AIIMS में बढ़ा दाखिला! शिक्षा व्यवस्था की दोहरी तस्वीर

सरकारी स्कूलों में घटते छात्र, लेकिन IIT-AIIMS में बढ़ा दाखिला! शिक्षा व्यवस्था की दोहरी तस्वीर

पार्लियामेंट में पेश आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में 1.35 करोड़ की गिरावट आई है, जबकि IIT, AIIMS जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले लगातार बढ़ रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव दिखा है।

Education: भारत की शिक्षा व्यवस्था को लेकर संसद में पेश ताजा आंकड़े एक विरोधाभासी तस्वीर दिखाते हैं। जहां सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है, वहीं IIT, AIIMS और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में एडमिशन की संख्या तेजी से बढ़ी है। आंकड़े बताते हैं कि शिक्षा में गुणवत्ता और प्राथमिकता को लेकर देश में बदलाव हो रहा है, लेकिन सरकारी स्कूलों की गिरती स्थिति चिंता का विषय है।

सरकारी स्कूलों में नामांकन में आई भारी गिरावट

2019 से 2024 के बीच सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में करीब 1.35 करोड़ की कमी दर्ज की गई है। UDISE+ (Unified District Information System for Education) डेटा के अनुसार, 2019-20 में जहां सरकारी स्कूलों में 13.09 करोड़ छात्र पढ़ते थे, वहीं 2023-24 में यह संख्या घटकर 12.74 करोड़ रह गई।

सरकारी स्कूलों से छात्रों का हटना न केवल सरकारी संसाधनों के कम उपयोग को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि लोग अब शिक्षा के लिए वैकल्पिक विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं, खासकर प्राइवेट स्कूलों की तरफ।

किन राज्यों में सबसे अधिक गिरावट

नामांकन में गिरावट सभी राज्यों में समान नहीं है। कुछ राज्यों में यह गिरावट बेहद गंभीर है।

  • बिहार: 2.1 करोड़ से घटकर 1.74 करोड़
  • उत्तर प्रदेश: 1.90 करोड़ से 1.58 करोड़
  • राजस्थान: 99 लाख से 83 लाख

इन राज्यों में गिरावट का मतलब है कि लाखों बच्चों ने या तो स्कूल छोड़ दिया या फिर प्राइवेट स्कूलों में शिफ्ट कर गए।

क्या हैं गिरावट की वजह

सरकार ने संसद में बताया कि इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  • प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ता रुझान
  • जनसंख्या में बदलाव (Demographic Change)
  • शहरीकरण और गांवों से शहरों की ओर पलायन
  • डिजिटल शिक्षा और टेक्नोलॉजी आधारित लर्निंग की ओर झुकाव

इसके अलावा कई क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाओं की कमी और शिक्षकों की अनुपलब्धता भी एक बड़ा कारण मानी जा रही है।

सरकार के जवाबी कदम

सरकार ने इस गिरावट को रोकने और सरकारी स्कूलों को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • PM-POSHAN (मिड डे मील)
  • समग्र शिक्षा योजना
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय
  • ट्रांसपोर्ट अलाउंस
  • ICT लैब्स की स्थापना
  • Enrollment Drives और स्कूल ट्रांजिशन सेंटर

इन योजनाओं का उद्देश्य बच्चों को स्कूल से जोड़ना और ड्रॉपआउट दर को कम करना है।

दूसरी तरफ उच्च शिक्षा संस्थानों में जबरदस्त विस्तार

जब प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं उच्च शिक्षा में लगातार विस्तार हो रहा है।

2014 के बाद सरकार ने निम्नलिखित प्रमुख संस्थान खोले हैं:

IIT: 7 नए (अब कुल 23)

IIM: 8 नए (अब कुल 21)

AIIMS: 12 नए (अब कुल 19)

IIIT: 16 नए (अब कुल 25)

केंद्रीय विश्वविद्यालय: 8 नए (अब कुल 48)

कॉलेज और यूनिवर्सिटी की कुल संख्या भी बढ़कर 60,380 हो गई है, जो 2018-19 में 51,649 थी।

सेकेंडरी स्तर पर चिंता की बात: ड्रॉपआउट दर

UDISE+ 2023-24 के मुताबिक, देश में ड्रॉपआउट दर खासकर सेकेंडरी स्तर (कक्षा 9-10) पर काफी ज्यादा है:

  • प्राइमरी (कक्षा 1-5): 1.9%
  • अपर प्राइमरी (6-8): 5.2%
  • सेकेंडरी (9-10): 14.1%

कुछ राज्यों में यह दर बेहद चिंताजनक है:

  • बिहार: 25.6%
  • असम: 25.1%
  • मध्य प्रदेश: 17.7%
  • झारखंड: 15.2%

यह साफ संकेत है कि कक्षा 8 के बाद बच्चे पढ़ाई छोड़ने लगते हैं, जिससे उनके भविष्य की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं।

ड्रॉपआउट कम करने के लिए सरकार की रणनीति

सरकार ने ड्रॉपआउट बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ने के लिए कई उपाय किए हैं:

  • NIOS के जरिए वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली
  • आवासीय स्कूलों और शॉर्ट टर्म कोर्सेज
  • PM-POSHAN योजना के तहत पोषण सुनिश्चित करना
  • 25% आरक्षण प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए

इसके अलावा बच्चों के स्कूल में आने-जाने को सुगम बनाने के लिए ट्रांसपोर्ट सहायता भी दी जा रही है।

उच्च शिक्षा में नवाचार और तकनीकी निवेश

शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और तकनीक का उपयोग सरकार की प्राथमिकता है। 2024-25 के लिए शिक्षा बजट ₹5,811.92 करोड़ रखा गया है, जो 2025-26 में बढ़कर ₹6,490.04 करोड़ हो सकता है।

नवाचार से जुड़े कुछ प्रमुख प्रयास:

  • 6,000+ संस्थानों में R&D सेल
  • 15,000+ इनोवेशन क्लब
  • SWAYAM पोर्टल पर क्रेडिट बेस्ड ऑनलाइन कोर्सेज

AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, डिजिटलीकरण पर फोकस

वंचित वर्गों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाने के प्रयास

सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा को अधिक सुलभ और समावेशी बनाने के लिए कई पहलें की हैं:

  • PM-USP स्कॉलरशिप
  • JEE/NEET की तैयारी स्थानीय भाषाओं में
  • द्विभाषी ऑनलाइन कोर्स
  • दोहरी डिग्री प्रणाली

NEP 2020 के तहत यह लक्ष्य तय किया गया है कि 2030 तक उच्च शिक्षा में GER (Gross Enrollment Ratio) को 50% तक पहुंचाया जाए।

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