‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म को लेकर विवाद बढ़ गया है। अबू आज़मी और कई संगठनों ने फिल्म पर बैन की मांग की है, कोर्ट में याचिका भी दाखिल हुई है।
Udaipur File: राजस्थान के बहुचर्चित और दिल दहला देने वाले कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ इन दिनों विवादों के घेरे में आ गई है। विजय राज अभिनीत यह फिल्म 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है, लेकिन इससे पहले ही यह कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के निशाने पर आ चुकी है। फिल्म पर समाज में नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए इसे बैन करने की मांग तेज हो गई है।
क्या है 'उदयपुर फाइल्स'?
‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म 28 जून 2022 को हुए कन्हैयालाल टेलर मर्डर केस पर आधारित है। उदयपुर के इस मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जब दो कट्टरपंथियों ने दुकान में घुसकर कन्हैयालाल की गला रेतकर हत्या कर दी थी और उसका वीडियो भी वायरल कर दिया गया था। यह घटना देशभर में आक्रोश का कारण बनी और अब इसी घटना को आधार बनाकर यह फिल्म बनाई गई है। फिल्म में प्रमुख भूमिका में हैं वरिष्ठ अभिनेता विजय राज, जो इस गंभीर विषय को परदे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, फिल्म के कंटेंट को लेकर विभिन्न संगठनों का कहना है कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंच सकती है।
अबू आज़मी ने विधानसभा में उठाया मुद्दा
महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी ने ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म लोगों के बीच नफरत फैलाने का काम कर सकती है और इससे राज्य की कानून-व्यवस्था पर असर पड़ सकता है। उन्होंने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा, 'यह फिल्म एक समुदाय विशेष को निशाना बनाती है। इसके जरिए देश में नफरत का माहौल पैदा किया जा सकता है। यदि यह फिल्म रिलीज़ होती है तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इसे तुरंत बैन किया जाए।'
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी जताई आपत्ति
इससे पहले जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में आपत्तिजनक दृश्य हैं और यह सांप्रदायिक तनाव को भड़काने का काम कर सकती है। मदनी ने यह भी मांग की है कि फिल्म के ट्रेलर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से तुरंत हटाया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की हिंसा या अराजकता की स्थिति न बने।
फिल्ममेकर्स की सफाई
फिल्म के निर्माताओं ने इन आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने दावा किया है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ का उद्देश्य किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि यह एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है जो न्याय, पीड़ितों की आवाज़ और कट्टरता के खिलाफ एक कड़ा संदेश देती है। निर्माताओं ने यह भी कहा है कि फिल्म को सेंसिबल और रिस्पॉन्सिबल तरीके से बनाया गया है और इसमें कोई भी दृश्य या संवाद ऐसा नहीं है जिससे किसी की भावनाएं आहत हों।
राजनीतिक रंग लेता मुद्दा
जहां एक ओर समाजवादी पार्टी और धार्मिक संगठन फिल्म पर बैन की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई दक्षिणपंथी संगठन इस फिल्म को 'हकीकत का आइना' बताते हुए इसका समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि समाज को कट्टरता के खतरों के बारे में जागरूक करना जरूरी है और यह फिल्म उसी दिशा में एक प्रयास है। इस विरोध और समर्थन के बीच फिल्म की रिलीज़ को लेकर संशय की स्थिति बन गई है। यदि कोर्ट से कोई फैसला आता है, तो ही तय होगा कि फिल्म रिलीज होगी या नहीं।
क्या फिल्म होगी रिलीज़?
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ 11 जुलाई को रिलीज़ होनी है। लेकिन जिस तरह से फिल्म को लेकर विरोध तेज हो रहा है और कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, उससे ये कहना मुश्किल है कि फिल्म तय समय पर रिलीज़ हो पाएगी या नहीं। कोर्ट में चल रही सुनवाई का असर फिल्म की नियति पर निश्चित रूप से पड़ेगा।