फातिमा सना शेख इन दिनों अपनी फिल्म 'मेट्रो...इन दिनों' को लेकर सुर्खियों में हैं। उनकी दमदार अदाकारी को दर्शकों से काफी सराहना मिल रही है। फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस ने साबित कर दिया है कि वह अब एक्टिंग में पूरी तरह से परिपक्व हो चुकी हैं।
Fatima Sana Sheikh Was Slapped: आज की तारीख में फातिमा सना शेख बॉलीवुड का जाना-माना नाम हैं। 'दंगल' से लेकर 'मेट्रो इन दिनों' तक उन्होंने अपनी अदाकारी से सबको प्रभावित किया है। लेकिन हर सितारे की तरह उनके करियर की शुरुआत भी संघर्ष और अनुभवों से भरी रही है। हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू के दौरान फातिमा ने अपने शुरुआती दिनों का एक ऐसा किस्सा साझा किया जिसने लोगों को चौंका दिया।
4 साल की उम्र में मिली सजा, चाची 420 के सेट पर हुआ था ये वाकया
फातिमा सना शेख ने सिर्फ चार साल की उम्र में फिल्म 'चाची 420' से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट बॉलीवुड में कदम रखा था। फिल्म में उन्होंने कमल हासन की बेटी 'भारती' का किरदार निभाया था। उन्होंने बताया कि उस फिल्म के सेट पर उनके साथ एक ऐसा वाकया हुआ जिसे वो आज तक नहीं भूल सकीं। दरअसल, शूटिंग के दौरान एक दिन उन्होंने सेट पर रखे कमल हासन के मेकअप बॉक्स को देखकर खेलना शुरू कर दिया।
उस मेकअप किट में ढेर सारे रंग और टूल्स थे, जिसे देखकर बच्ची फातिमा की उत्सुकता बढ़ गई। बिना कुछ सोचे-समझे उन्होंने सारे रंगों को एक साथ मिक्स कर दिया और पूरा मेकअप बॉक्स खराब कर दिया।
मेकअप किट हुआ बर्बाद, फिर हुआ फातिमा के साथ गलत व्यवहार
जब मेकअप आर्टिस्ट ने दोबारा मेकअप करने के लिए किट खोला तो सारा सामान गड़बड़ मिला। उस समय सेट पर तनाव का माहौल बन गया। फातिमा ने बताया कि उस वक्त फिल्म के एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने उन्हें थप्पड़ मार दिया, जिससे वह घबरा गईं। इतना ही नहीं, घर जाकर माता-पिता से भी डांट और मार पड़ी।
इस पूरी घटना के बाद सेट पर तनाव जरूर था, लेकिन कमल हासन ने पूरी समझदारी से मामला संभाला। उन्होंने सबको समझाया कि फातिमा सिर्फ एक बच्ची हैं और यह हरकत उन्होंने जानबूझकर नहीं की है। उन्होंने सेट के लोगों और फातिमा के माता-पिता से आग्रह किया कि उन्हें माफ कर दिया जाए, क्योंकि वह सिर्फ मासूमियत में ऐसा कर बैठीं थीं। फातिमा ने बताया कि कमल हासन ने बड़े भाई और संरक्षक की तरह उनका बचाव किया और यह घटना आज भी उनकी स्मृति में ताजा है।
फातिमा की आज की पहचान
आज फातिमा सना शेख 'दंगल', 'लूडो', 'सूरज पे मंगल भारी', और अब 'मेट्रो इन दिनों' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी हैं। लेकिन इस बचपन के अनुभव ने उन्हें वह संवेदनशीलता और समझ दी है जो एक कलाकार के लिए जरूरी होती है। फातिमा का यह अनुभव फिल्म इंडस्ट्री की उस सच्चाई को भी उजागर करता है जहां बच्चों की मासूमियत को भी कभी-कभी गलत समझ लिया जाता है। हालांकि, यह भी सच है कि समय के साथ इंडस्ट्री में प्रोफेशनलिज्म और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है।