अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत और रूस के बीच बड़ा कृषि व्यापार समझौता हुआ है। रूस हर साल भारत से 3-5 लाख मीट्रिक टन केला खरीदेगा। यह डील भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए नया आर्थिक अवसर लेकर आई है।
US Tariff: अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ (tariffs) के बीच भारत और रूस के बीच एक अहम कृषि व्यापार समझौता हुआ है। रूस ने भारत से हर साल 3 से 5 लाख मीट्रिक टन तक केले (banana) की खरीद का ऐलान किया है। यह फैसला दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक सहयोग और कृषि क्षेत्र में साझेदारी को नई दिशा देगा। रूस की पादप स्वच्छता निगरानी संस्था (Phytosanitary Surveillance Agency) ने आधिकारिक रूप से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
रूस को मिलेगा भारत से गुणवत्तापूर्ण केला
रूस की इस संस्था ने कहा है कि भारत अब रूसी बाजार में केले की आपूर्ति को बड़े पैमाने पर बढ़ा सकता है। संस्था के अनुसार, रूस अगले कुछ वर्षों में प्रति वर्ष 3 से 5 लाख मीट्रिक टन भारतीय केला आयात करने को तैयार है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब रूस यूक्रेन युद्ध (Ukraine war) के चलते पश्चिमी देशों से आयातित कृषि उत्पादों के विकल्प तलाश रहा है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए यह अवसर निर्यात (export) बढ़ाने का बड़ा मौका है।
दोनों देशों के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक
रूस की ओर से संस्था के प्रमुख सर्गेई डंकवर्ट (Sergey Dankvert) ने भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बातचीत में न केवल केले के व्यापार पर चर्चा हुई बल्कि झींगा (shrimp), मछली (fish) और अन्य फलों-सब्जियों की आपूर्ति बढ़ाने के अवसरों पर भी विचार किया गया। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि कृषि उत्पादों के द्विपक्षीय व्यापार (bilateral trade) को और मजबूत करने के लिए नई नीतिगत रूपरेखा तैयार की जाएगी।
भारत के लिए निर्यात बाजार का विस्तार
भारत दुनिया का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश है, जिसका वार्षिक उत्पादन करीब 3.3 करोड़ टन है। अब तक भारत मुख्य रूप से मध्य पूर्व (Middle East) और दक्षिण एशिया (South Asia) के देशों को केला निर्यात करता रहा है, लेकिन रूस के साथ यह डील भारत को यूरोपीय बाजारों के लिए एक वैकल्पिक द्वार खोल सकती है। यह भारतीय किसानों और निर्यातकों (exporters) दोनों के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर साबित होगा।
US टैरिफ के बीच भारत के लिए रणनीतिक कदम
अमेरिका द्वारा कई भारतीय कृषि उत्पादों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के बाद भारत के लिए नए बाजार तलाशना जरूरी हो गया है। रूस के साथ यह समझौता न केवल व्यापारिक बल्कि रणनीतिक (strategic) दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह भारत को अपने कृषि उत्पादों के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भरता कम करने का मौका देगा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उसकी स्थिति को मजबूत करेगा।
रूस-भारत के बीच बढ़ता व्यापारिक सहयोग
पिछले कुछ वर्षों में भारत और रूस ने ऊर्जा, रक्षा और खाद्य सुरक्षा (food security) जैसे कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग को गहराई दी है। अब कृषि व्यापार में यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूत करेगा। भारत पहले से ही रूस को चाय, मसाले, चावल और मछली जैसे उत्पाद निर्यात करता है। केले के आयात को लेकर यह नई डील दोनों देशों के बीच कृषि व्यापार में एक मील का पत्थर मानी जा रही है।
निर्यात प्रक्रिया पर जोर
भारतीय निर्यातकों के लिए सबसे अहम चुनौती होगी कि वे रूस के मानकों (standards) के अनुसार गुणवत्तापूर्ण केला निर्यात करें। रूस की फाइटोसैनिटरी संस्था ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत से आने वाले सभी केले अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का पालन करें। इसके लिए भारत के कृषि मंत्रालय ने कहा है कि निर्यात से पहले हर खेप की जांच और प्रमाणन (certification) किया जाएगा।