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वाहनों के लिए बड़ी राहत: अब 'पे-एज़-यू-गो' टोल नीति से सिर्फ तय दूरी का भुगतान!

वाहनों के लिए बड़ी राहत: अब 'पे-एज़-यू-गो' टोल नीति से सिर्फ तय दूरी का भुगतान!

देश के एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत जल्द ही मिलने वाली है।

नई दिल्ली: देश की सड़कों पर यात्रा करने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय जल्द ही एक क्रांतिकारी "पे-एज़-यू-गो" (Pay As You Go) टोल नीति लाने जा रहा है, जिसके तहत अब आपको सिर्फ उतना ही टोल देना होगा, जितनी दूरी आपने एक्सप्रेसवे पर तय की है। यह नई व्यवस्था मौजूदा फ्लैट रेट टोल सिस्टम की जगह लेगी, जिसमें यात्रियों को फिक्स्ड दूरी के लिए पूरा टोल चुकाना पड़ता था, चाहे वे पूरा रूट इस्तेमाल करें या नहीं।

कैसे काम करेगी नई टोल प्रणाली?

नई टोल नीति में हाई-टेक सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें ये मुख्य तत्व शामिल होंगे:

  • ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे: ये कैमरे वाहनों के नंबर प्लेट्स को स्कैन करेंगे और एंट्री/एग्जिट पॉइंट्स रिकॉर्ड करेंगे।
  • फास्टैग सिस्टम: वाहनों के फास्टैग से जुड़े बैंक अकाउंट से यात्रा के अनुसार टोल की राशि स्वतः कट जाएगी।
  • जीपीएस-आधारित ट्रैकिंग (भविष्य में): कुछ प्रीमियम एक्सप्रेसवे पर जीपीएस टैगिंग सिस्टम भी टेस्ट किया जा रहा है, जो वास्तविक दूरी के आधार पर टोल कैलकुलेट करेगा।
  • उदाहरण: अगर कोई यात्री दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर सिर्फ 50 किमी की यात्रा करता है, तो उसे पूरे 1,400 किमी का टोल नहीं देना होगा, बल्कि सिर्फ 50 किमी के हिसाब से चार्ज लगेगा।

नई व्यवस्था के फायदे

  • यात्रियों के लिए राहत: छोटी दूरी की यात्रा करने वालों को भारी टोल नहीं देना पड़ेगा।
  • ट्रैफिक कंजेशन कम होगा: टोल प्लाजा पर लाइनें खत्म होंगी, क्योंकि पेमेंट ऑटोमैटिक होगा।
  • पारदर्शिता बढ़ेगी: यात्री ऐप या वेबसाइट पर अपनी यात्रा का बिल चेक कर सकेंगे।
  • राजस्व में इजाफा: छोटे वाहन मालिक अधिक एक्सप्रेसवे इस्तेमाल करेंगे, जिससे सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा।

किन राज्यों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य, जहां सबसे ज्यादा टोल राजस्व आता है, इस नई प्रणाली से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।

टॉप 5 राज्य (2024-25 के टोल राजस्व के अनुसार):

  • उत्तर प्रदेश: ₹7,060 करोड़
  • राजस्थान: ₹5,967 करोड़
  • महाराष्ट्र: ₹5,115 करोड़
  • गुजरात: ₹4,890 करोड़
  • कर्नाटक: ₹4,200 करोड़

कब तक लागू होगी नई प्रणाली?

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, इस नीति का पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और पूर्वी एक्सप्रेसवे (दिल्ली-कोलकाता) पर शुरू किया जाएगा। अगर यह सफल रहा, तो 2026 तक देशभर के सभी प्रमुख एक्सप्रेसवे पर इसे लागू कर दिया जाएगा।

क्या होगी चुनौतियां?

  • तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर: ANPR कैमरों और फास्टैग सिस्टम को पूरी तरह से सटीक बनाना होगा।
  • डेटा प्राइवेसी: वाहनों की मूवमेंट ट्रैक करने से डेटा लीक का खतरा।
  • ग्रामीण इलाकों में कवरेज: दूरदराज के क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या।

ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह नीति भारत के टोल संग्रह सिस्टम में एक बड़ा बदलाव लाएगी। "यह व्यवस्था यूरोप और अमेरिका में सफलतापूर्वक चल रही है। अगर भारत इसे सही ढंग से लागू करता है, तो यह ट्रैफिक प्रबंधन और राजस्व दोनों के लिए गेम-चेंजर साबित होगी," - डॉ. प्रवीण कुमार, ट्रांसपोर्ट इकोनॉमिस्ट।

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