वेदांता ने जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी ग्रुप) में 100% हिस्सेदारी खरीदने के लिए CCI से मंजूरी मांगी है। अधिग्रहण CIRP प्रक्रिया के तहत हो रहा है और इसका शुद्ध मूल्य 12,505 करोड़ रुपये है। वेदांता का कहना है कि इस लेनदेन से भारत में प्रतिस्पर्धा पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
JP Group: भारत की प्रमुख माइनिंग कंपनी वेदांता ने जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी ग्रुप) का 100% अधिग्रहण करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) से मंजूरी मांगी है। यह अधिग्रहण कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के तहत किया जा रहा है और सौदे का शुद्ध मूल्य 12,505 करोड़ रुपये है। वेदांता का दावा है कि प्रस्तावित लेनदेन से प्रतिस्पर्धा पर कोई उल्लेखनीय प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, जबकि वित्तीय लेनदारों के बकाये और भविष्य की भुगतान योजना पर भी ध्यान दिया गया है।
CCI में दी फाइलिंग और प्रस्तावित लेनदेन
11 सितंबर को एंटीट्रस्ट नियामक को दी गई फाइलिंग में वेदांता ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित लेनदेन से भारत में प्रतिस्पर्धा पर कोई उल्लेखनीय प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। वेदांता ने बताया कि यह अधिग्रहण जयप्रकाश एसोसिएट्स के CIRP के तहत प्रस्तुत अपनी समाधान योजना को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने पिछले साल जून में जेपी ग्रुप के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के तहत संकटग्रस्त कंपनी के लेनदारों की समिति को दावेदारों की समाधान योजनाओं को मंजूरी देने से पहले CCI की अनुमति लेना अनिवार्य है।
वेदांता का प्रस्ताव और वित्तीय लेनदारों का दावा
वेदांता ने फाइलिंग में बताया कि अधिग्रहण के लिए कंपनी ने 3,800 करोड़ रुपये एडवांस देने और अगले पांच सालों में 2,500 से 3,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष भुगतान करने का प्रस्ताव रखा है। इससे अधिग्रहण की कुल लागत लगभग 17,000 करोड़ रुपये हो जाएगी। वित्तीय लेनदारों का दावा 57,185 करोड़ रुपये का है।
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के संघ से जेपी ग्रुप के संकटग्रस्त ऋणों को प्राप्त करने के बाद, राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (NARC) दावेदारों की सूची में सबसे आगे है। इस प्रक्रिया में वेदांता की बोली को सबसे मजबूत माना जा रहा है, जिसने अडाणी ग्रुप को पीछे छोड़ दिया है।
जेपी ग्रुप के व्यापार और फोकस क्षेत्र
जयप्रकाश एसोसिएट्स बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज दोनों पर लिस्टेड कंपनी है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में सक्रिय है। कंपनी के व्यवसाय में रियल एस्टेट, सीमेंट, हॉस्पिटैलिटी, इंजीनियरिंग, खरीद और कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्ट शामिल हैं। इसके अलावा जेपी ग्रुप की कुछ सब्सिडरी कंपनियां बिजली, उर्वरक, खेल और विमानन क्षेत्रों में भी काम कर रही हैं।
कंपनी का पोर्टफोलियो विविध होने के कारण अधिग्रहण से वेदांता के व्यवसाय में नए अवसर और विस्तार के रास्ते खुल सकते हैं। वेदांता इस अधिग्रहण से न केवल संसाधनों की पहुंच बढ़ाएगी बल्कि विभिन्न बुनियादी ढांचा और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है।
फिच के नजरिए से अधिग्रहण
10 सितंबर को फिच समूह की कंपनी क्रेडिटसाइट्स ने इस अधिग्रहण को लेकर नोट जारी किया। फिच का कहना है कि वेदांता द्वारा जेपी ग्रुप का प्रस्तावित अधिग्रहण "कम रणनीतिक तालमेल वाले तर्क" के कारण ऋणात्मक प्रभाव डाल सकता है। फिच के अनुसार, अधिग्रहण से कंपनी की वित्तीय स्थिति पर कुछ दबाव पड़ सकता है, हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टि से यह कदम वेदांता के लिए रणनीतिक लाभ भी ला सकता है।