विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस दौरे पर जाएंगे। अमेरिका और भारत के बीच रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रेड वॉर की आशंका है। पिछला दौरा NSA अजित डोभाल कर चुके हैं। ऊर्जा और रक्षा सहयोग पर चर्चा होगी।
नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर रूस के दौरे पर जाएंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और भारत के बीच रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रेड वॉर की आशंका जताई जा रही है। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल रूस का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।
भारत-अमेरिका ट्रेड वॉर की संभावनाएं
रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका ने भारत पर नजर रखी हुई है। ट्रंप टैरिफ पॉलिसी के चलते दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तनाव के संकेत मिले हैं। ऐसे में जयशंकर का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिका भारत को रूस से तेल खरीदने पर संभावित सैनेटशन का दबाव दे सकता है।
एस. जयशंकर की रूस यात्रा
रूस के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी देते हुए कहा कि 21 अगस्त को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव मॉस्को में विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात करेंगे। दोनों मंत्री द्विपक्षीय एजेंडे के प्रमुख मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय ढांचे में सहयोग के अहम पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
अजित डोभाल के हालिया दौरे का महत्व
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पिछले हफ्ते दो दिन के दौरे पर रूस गए थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इसके अलावा रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से भी वार्ता हुई। इस बैठक में ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों पर चर्चा की गई।
पुतिन का भारत दौरा
अजित डोभाल ने इस बात की पुष्टि की कि राष्ट्रपति पुतिन साल के अंत तक भारत का दौरा करेंगे। इससे भारत और रूस के बीच ऊर्जा, रक्षा और व्यापारिक संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
ऊर्जा और रक्षा संबंधों पर चर्चा
भारत और रूस के बीच ऊर्जा और रक्षा सहयोग लंबे समय से मजबूत रहा है। इस दौरे में दोनों देशों ने नई परियोजनाओं और सहयोग के नए क्षेत्रों पर भी चर्चा की। भारत को रूस से कच्चे तेल और गैस आपूर्ति में कोई रुकावट न आए, इस पर विशेष ध्यान दिया गया।
जयशंकर की यह यात्रा भारत और रूस के रणनीतिक संबंधों को और आगे बढ़ाने का अवसर है। अमेरिका के दबाव और अंतरराष्ट्रीय ट्रेड वॉर के बीच भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है। यह दौरा भारत की ग्लोबल एनर्जी सिक्योरिटी और रक्षा रणनीति के लिहाज से भी अहम है।
भारत की विदेश नीति में संतुलन
भारत ने हमेशा अपने विदेशी संबंधों में संतुलन बनाए रखा है। रूस से ऊर्जा और रक्षा सहयोग बढ़ाने के बावजूद अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ भी संबंधों को मजबूती देने की नीति अपनाई जा रही है। जयशंकर की यात्रा इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। ट्रंप टैरिफ पॉलिसी के चलते वैश्विक व्यापार पर दबाव बढ़ा है। भारत रूस से तेल खरीदकर अपनी घरेलू ऊर्जा जरूरत पूरी करना चाहता है, जबकि अमेरिका इस पर निगरानी रख रहा है।