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विपक्ष का चुनाव आयोग पर हमला: मतदाता सूची और जवाबदेही पर उठे गंभीर सवाल

विपक्ष का चुनाव आयोग पर हमला: मतदाता सूची और जवाबदेही पर उठे गंभीर सवाल

कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। बिहार और कर्नाटक में मतदाता सूची में विसंगतियों का आरोप। विपक्ष ने आयोग से जवाब और हलफनामा देने की मांग की। पारदर्शिता पर चल रहा विवाद।

New Delhi: देश में चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों को लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के नेताओं का कहना है कि आयोग विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा और अपने दायित्वों से पीछे हट रहा है। यह विवाद बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और मतदाता आंकड़ों में कथित हेराफेरी के मामले को लेकर और तेज हो गया है।

मतदाता सूची और हेराफेरी के मामले

बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा और डेटा की पारदर्शिता को लेकर विपक्ष ने कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इस मौके पर आरोप लगाया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में मतदाता सूची में विसंगतियां पाई गई हैं और वीडियो डेटा हटाने जैसे मामलों पर चुनाव आयोग चुप्प है। उनका कहना था कि आयोग उन अधिकारियों के अधीन काम कर रहा है जो इन आरोपों की जांच करने में रुचि नहीं रखते। मतदाता अधिकारों की रक्षा आयोग की जिम्मेदारी है, लेकिन इस मामले में वह इस जिम्मेदारी को निभाने में विफल दिखाई दे रहा है।

सपा सांसदों की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि आयोग का दावा कि विपक्ष बिना तथ्यों के आरोप लगा रहा है, गलत है। उन्होंने बताया कि विपक्ष ने कई बार हलफनामे के साथ शिकायतें दी हैं, जिनमें 2022 में 18,000 मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने का मामला शामिल था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर दिया है और विपक्ष का कहना है कि आयोग की ओर से लगातार मामलों की अनदेखी लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है।

टीएमसी और महुआ मोइत्रा का बयान

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि फर्जी मतदाता सूचियों के लिए पूर्व चुनाव आयुक्तों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और वर्तमान लोकसभा को तत्काल भंग किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डुप्लिकेट वोटर आईडी कार्ड के मुद्दे को उठाया था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। उनका मानना है कि मतदाता सूची की पारदर्शिता लोकतंत्र की नींव है और इसके बिना चुनाव प्रक्रिया पर जनता का विश्वास कमजोर होगा।

चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग ने 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी आरोपों का जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि राहुल गांधी द्वारा उठाए गए आरोपों को तथ्यों और तर्कों के साथ प्रस्तुत किया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राहुल गांधी सात दिनों के भीतर हलफनामा नहीं देते हैं, तो उनके आरोप निराधार माने जाएंगे। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित कर रहा है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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