मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार सेना की बहादुर महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान ने न केवल राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है।
भोपाल: मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान को लेकर चर्चाओं में हैं। हाल ही में उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना की पहली महिला कर्नल बनने वाली सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिससे उन्हें तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा। यह कोई पहला मौका नहीं है जब विजय शाह इस तरह के विवाद में फंसे हैं। इससे पहले भी वह कई बार अपने बयानों के कारण विवादों में घिर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर की गई उनकी टिप्पणी भी खासा विवादित रही थी और पार्टी को सफाई देनी पड़ी थी
कर्नल सोफिया पर बयान बना ताजा तूफान
12 मई को इंदौर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें ‘आतंकवादियों की बहन’ जैसा करार देने की कोशिश की। यह टिप्पणी न केवल महिला अधिकारी का अपमान थी, बल्कि भारतीय सेना जैसी सम्मानित संस्था पर भी सीधा प्रहार थी।
मामले ने इतना तूल पकड़ा कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना पड़ा। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने इसे गटर जैसी भाषा करार देते हुए कहा कि यह भारतीय सशस्त्र बलों का अपमान है। कोर्ट ने पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
विद्या बालन को डिनर का निमंत्रण और शूटिंग रद्द?
2020 में विजय शाह तब सुर्खियों में आए थे, जब वे वन मंत्री थे और अभिनेत्री विद्या बालन मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में अपनी फिल्म "शेरनी" की शूटिंग कर रही थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विजय शाह ने विद्या बालन को डिनर पर आमंत्रित किया था, जिसे अभिनेत्री ने अस्वीकार कर दिया। इसके ठीक बाद, शूटिंग टीम को वन क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति अचानक वापस ले ली गई। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने इसे सत्ता का दुरुपयोग करार दिया था।
हालांकि विजय शाह ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया और कहा कि शूटिंग परमिशन देने वालों के लंच-डिनर ऑफर को मैंने ठुकराया था। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि उनके ‘निजी अपमान’ का बदला सरकारी आदेश से लिया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी पर अभद्र टिप्पणी
2013 में झाबुआ जिले में एक जनसभा के दौरान विजय शाह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी को लेकर एक अभद्र टिप्पणी की थी। इस बयान के बाद न केवल भाजपा में भीतरखाने हलचल मच गई थी, बल्कि भारी दबाव के चलते उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। तब भी यह सवाल उठे थे कि क्या ऐसे नेताओं को मंत्री पद पर बने रहने देना चाहिए?
हरसूद (एसटी) सीट से आठवीं बार विधायक चुने गए विजय शाह का राजनीतिक करियर लंबा रहा है। वे शिक्षा मंत्री से लेकर वन मंत्री और अब जनजातीय कार्य मंत्री तक की भूमिका निभा चुके हैं। 1990 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे विजय शाह ने हमेशा अपनी साफ-सुथरी छवि का दावा किया, लेकिन जुबानी फिसलन बार-बार उन्हें संकट में डाल देती है।
कांग्रेस का हमला, पीएम से मांगा इस्तीफा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल विजय शाह से इस्तीफा लेना चाहिए। क्या यही भाजपा का राष्ट्रवाद है, जहां सेना की महिला अधिकारी का इस तरह अपमान किया जाता है? वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, विजय शाह की भाषा भाजपा की ट्रोल सेना जैसी है। प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्हें ये टिप्पणी सही लगी?
मीडिया में हो रही आलोचना और कोर्ट की सख्ती के बाद विजय शाह ने सफाई दी, अगर किसी को मेरे बयान से ठेस पहुंची है, तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं। मैं कर्नल सोफिया का उतना ही नहीं, बल्कि अपनी बहन से ज्यादा सम्मान करता हूं।