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VP Election 2025: पंजाब बाढ़ पर नाराज़गी जताते हुए अकाली दल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से किया बहिष्कार, अन्य दल भी शामिल

VP Election 2025: पंजाब बाढ़ पर नाराज़गी जताते हुए अकाली दल ने उपराष्ट्रपति चुनाव से किया बहिष्कार, अन्य दल भी शामिल

शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने पंजाब में बाढ़ और केंद्र-राज्य की लापरवाही का विरोध करते हुए उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार किया। बीआरएस और बीजद ने भी मतदान से दूरी बनाई। चुनाव में NDA के राधाकृष्णन और सुदर्शन रेड्डी हैं मुख्य उम्मीदवार।

VP Election 2025: शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने मंगलवार को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। पार्टी का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान लोगों की मदद करने में गंभीर लापरवाही बरती। बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर ने कहा कि राज्य का लगभग एक तिहाई हिस्सा पानी में डूब चुका है और घरों तथा फसलों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि यह मानव-निर्मित त्रासदी राज्य सरकार की अक्षमता और केंद्र की अनदेखी का परिणाम है।

अन्य दलों का बहिष्कार

सिर्फ अकाली दल ही नहीं, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने तेलंगाना के किसानों के प्रति केंद्र और राज्य की मदद में कमी का हवाला देते हुए मतदान से अलग रहने की घोषणा की। वहीं बीजू जनता दल (बीजद) ने कहा कि वे एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों से समान दूरी बनाए हुए हैं और किसी पक्ष का समर्थन नहीं करेंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार

इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए सीधा मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक द्वारा समर्थित बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच है। दोनों उम्मीदवारों के बीच प्रतियोगिता कड़ी मानी जा रही है। एनडीए और इंडिया ब्लॉक ने अपने-अपने सांसदों के साथ मॉक पोल आयोजित किए हैं, ताकि चुनाव में किसी भी तरह का अवैध या अनियमित वोटिंग न हो।

एनडीए के नेता ने दावा किया कि उनके उम्मीदवार को कम से कम 427 वोट मिलने की संभावना है। वहीं कांग्रेस और विपक्षी दलों ने विश्वास जताया है कि उनका उम्मीदवार 324 से अधिक वोट हासिल कर सकता है।

उपराष्ट्रपति पद की रिक्तता और कारण

उपराष्ट्रपति का पद 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद खाली हुआ था। इसके बाद उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। उपराष्ट्रपति का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 64 और 68 के प्रावधानों के तहत आयोजित किया जाता है। यह चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा किया जाता है और इसे संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार अधिसूचित किया जाता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति चुनाव आम चुनाव से काफी अलग होता है। इसमें आम जनता वोट नहीं डालती, बल्कि संसद के सदस्य ही मतदान करते हैं। यह मतदान आनुपातिक प्रतिनिधित्व (proportional representation) प्रणाली और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (single transferable vote) सिस्टम के तहत होता है। मतदान गुप्त होता है, और सांसदों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर वोट डालना होता है।

सांसद यदि निवारक हिरासत में हैं, तो उन्हें डाक मत (postal ballot) के माध्यम से वोटिंग करने की अनुमति होती है। इस बार कुछ सांसद जेल या कस्टडी में होने के कारण पोस्टल बैलेट का उपयोग करेंगे। बैलेट पेपर सफेद रंग के होते हैं और इसमें उम्मीदवारों के नाम हिंदी और अंग्रेजी दोनों में दिए जाते हैं। वोट देने के लिए सांसद अपनी प्राथमिकता 1 या 2 के रूप में अंकित करते हैं। अंक केवल संख्या में दर्ज किए जाते हैं, शब्दों में नहीं।

वोट की गिनती और नियम

वोटिंग समाप्त होने के करीब एक घंटे बाद मतगणना शुरू होती है। इसमें सबसे पहले वैध और अवैध बैलेट पेपर को अलग किया जाता है। वैध वोटों की संख्या के अनुसार विजयी होने के लिए कोटा निर्धारित होता है। यदि कोई उम्मीदवार पहली पसंद के वोटों में कोटा हासिल नहीं करता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है और उसके वोट दूसरी पसंद के अनुसार ट्रांसफर किए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता।

वोट अवैध माने जाते हैं यदि उम्मीदवार के आगे प्राथमिकता 1 नहीं लिखी हो, या एक से अधिक उम्मीदवारों के लिए प्राथमिकता 1 लिखी गई हो। इसी तरह अगर हस्ताक्षर या प्रमाण पत्र डाक मत में नहीं हैं, तो भी वोट अवैध माना जाएगा।

दल-बदल कानून उपराष्ट्रपति चुनाव में लागू नहीं

उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी पार्टी का सिंबल नहीं होता। इस कारण कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती। सांसद अपने मत मनमानी रूप से डाल सकते हैं और दल-बदल विरोधी कानून इसमें लागू नहीं होता। यानी सांसदों को क्रॉस वोटिंग करने पर सदस्यता जाने का खतरा नहीं होता।

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