इस्राइल-ईरान युद्ध का दिल्ली की अनाज मंडियों पर सीधा असर, कीमतों में आई भारी गिरावट, देखें क्या है संबंध

इस्राइल-ईरान युद्ध का दिल्ली की अनाज मंडियों पर सीधा असर, कीमतों में आई भारी गिरावट, देखें क्या है संबंध
Last Updated: 26 अक्टूबर 2024

हजारों मील दूर चल रहे इस्राइल-ईरान संघर्ष का असर भारत की अनाज मंडियों पर पड़ रहा है। हाल ही में दिल्ली की नरेला अनाज मंडी में धान की फसल की आवक में भारी गिरावट आई है।

New Delhi: नरेला अनाज मंडी में व्यापारियों का कहना है कि गल्फ देशों से चावल की मांग में कमी आई है, जिससे फसलों की खरीद में मुश्किलें रही हैं। इसके अलावा, इस वर्ष देश में खराब मौसम के कारण फसलों की पैदावार भी कम हुई है, जिससे मंडी में धान की आवक 30 से 40 प्रतिशत तक घट गई है। पिछले साल, यहां प्रतिदिन 50 से 60 हजार क्विंटल धान पहुंचता था, जबकि इस बार यह संख्या घटकर 30 से 35 हजार क्विंटल रह गई है।

नरेला अनाज मंडी में धान की खरीद में कमी

व्यापारियों का कहना है कि गल्फ देशों से चावल की मांग में कमी आने के कारण नरेला अनाज मंडी में फसलों की खरीद में समस्या उत्पन्न हो रही है। इस बार देश में खराब मौसम के चलते फसलों की पैदावार भी कम हुई है, जिसके परिणामस्वरूप मंडी में धान की आवक लगभग 30 से 40 प्रतिशत घट गई है।

यहां काम करने वाले व्यापारियों के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में नरेला अनाज मंडी में प्रतिदिन 50 से 60 हजार क्विंटल धान पहुंचता था, लेकिन इस वर्ष यह संख्या घटकर केवल 30 से 35 हजार क्विंटल रह गई है।

व्यापारियों ने यह भी बताया कि नरेला से सटे हरियाणा की मंडियों में किसानों को सामान्य दाम मिल रहे हैं, जिससे वे अपनी फसलें वहीं बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस स्थिति के कारण नरेला अनाज मंडी में फसलों की आवक में कमी देखी जा रही है।

चावल मिलों के बंद होने से प्रभावित हुई धान की खरीदारी

व्यापारी शिवकुमार बिट्टू ने बताया कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण चावल मिलों को बंद कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, अधिकांश चावल मिल अब हरियाणा और अन्य राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं, जिससे व्यापारी वहीं की मंडियों में जाकर धान की खरीदारी कर रहे हैं। प्रमुख मंडियों में हरियाणा के सोनीपत, पानीपत, खरखौदा, समालखा और कुरुक्षेत्र शामिल हैं।

दिल्ली के मास्टर प्लान के अनुसार, अब यहां किसानों की उपस्थिति नहीं है। पहले इस मंडी में नगद खरीद-बिक्री होती थी, जिसके कारण हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और कई अन्य राज्यों से किसान अपनी फसलें बेचने आते थे। लेकिन अब चावल मिलों की कमी और अन्य कारणों से किसान अपनी फसलें उत्तर प्रदेश और हरियाणा की मंडियों में ही बेचना पसंद कर रहे हैं।

कम दामों के कारण किसानों की बढ़ी चिंता

फसल बेचने आए किसान जगतार सिंह ने बताया कि इस साल उन्हें अपने धान की बिक्री पर पिछले साल की तुलना में कम दाम मिले हैं। पहले किसान इस मंडी में नगद भुगतान और अच्छे रेट के लिए आते थे, लेकिन इस बार तो उनकी रुचि है और ही मंडी में बेहतर फसलों के भाव मिल रहे हैं।

हालांकि, मंडी प्रशासन ने आशा जताई है कि 22 तारीख को केंद्र सरकार द्वारा निर्यात पर लगाए गए 10 प्रतिशत सेंस खत्म करने के फैसले के बाद मंडी में फसलों के दाम बढ़ सकते हैं। इससे किसानों को अपने फसलों के लिए बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद है।

अनाज मंडियों में धान के दामों में भारी गिरावट

दिल्ली की नरेला अनाज मंडी में धान की फसल के दामों में पिछले साल की तुलना में काफी कमी आई है। मंडी में धान की विभिन्न क्वॉलिटी के औसत मूल्य इस प्रकार हैं-

मंडी में धान की क्वॉलिटी        पिछले साल औसत मूल्य                 इस बार औसत मूल्य

1509                                   3300-3600 रुपये                              2600-2900 रुपये

शरबती                                 2400-2500 रुपये                               2000-2100 रुपये

ताज                                    2700-2800 रुपये                              2000-2200 रुपये

एचआर-10                          2500-2600 रुपये                                 2100-2200 रुपये

किसान और व्यापारी इस गिरावट से चिंतित हैं, और उन्होंने बताया कि इस बार मंडी में फसलों की आवक भी कम हुई है। इससे उन्हें उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार के हालिया फैसले के बाद दामों में सुधार हो सकता है।

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