सेबी के नए नियमों के चलते बीएसई का शेयर 16% चढ़ा। एनएसई ने डेरिवेटिव एक्सपायरी बदलाव टाला। विश्लेषकों के अनुसार, बीएसई की बाजार हिस्सेदारी और ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़ोतरी संभव।
Sebi Rule: शुक्रवार को बीएसई का शेयर 16% की बढ़त के साथ बंद हुआ, जो पिछले छह महीनों की सबसे बड़ी एकदिवसीय बढ़त रही। इस उछाल के पीछे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का नया प्रस्ताव मुख्य वजह माना जा रहा है। सेबी ने डेरिवेटिव एक्सपायरी को सिर्फ दो दिन तक सीमित करने की सिफारिश की है, जिससे बीएसई को बाजार में अधिक भागीदारी का अवसर मिल सकता है।
एनएसई ने बदला अपना फैसला
सेबी के इस प्रस्ताव के बाद नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने इंडेक्स डेरिवेटिव अनुबंधों की एक्सपायरी को गुरुवार से बदलकर सोमवार करने की योजना फिलहाल टाल दी है। यह बदलाव 4 अप्रैल से लागू किया जाना था। इस फैसले के बाद बीएसई के शेयरों में मजबूती देखी गई और यह 5,438 रुपये के स्तर पर बंद हुआ।
बाजार विश्लेषकों का नजरिया
विश्लेषकों का मानना है कि एनएसई के इस फैसले के बाद बीएसई के राजस्व अनुमानों में सुधार होगा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषक अमित चंद्रा के अनुसार, पिछले दो महीनों में बीएसई ने डेरिवेटिव सेगमेंट में महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल की है। बीएसई में ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि स्वाभाविक रूप से हुई है, क्योंकि कई प्रतिभागियों ने सेंसेक्स-आधारित अनुबंधों को प्राथमिकता दी है।
बाजार हिस्सेदारी में उछाल
एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, बीएसई की बाजार हिस्सेदारी तिमाही आधार पर 13% से बढ़कर 19% हो गई है, जबकि विकल्प प्रीमियम में 30% का इजाफा दर्ज किया गया है।
सेबी के प्रस्ताव का व्यापक प्रभाव
गुरुवार को सेबी ने निर्देश जारी किया कि हर एक्सचेंज को अपनी इक्विटी डेरिवेटिव एक्सपायरी को मंगलवार या गुरुवार तक सीमित करना होगा। वर्तमान में, बीएसई के एकल स्टॉक और इंडेक्स डेरिवेटिव अनुबंध मंगलवार को एक्सपायर होते हैं, जबकि एनएसई पर यह गुरुवार को होता है। अब एक्सचेंजों को किसी भी बदलाव के लिए सेबी की अनुमति लेनी होगी।
डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर असर
सेबी का यह प्रस्ताव डेरिवेटिव ट्रेडिंग वॉल्यूम में हालिया उछाल और एक्सपायरी के दिनों में इंडेक्स ऑप्शंस में बढ़ते जोखिम को ध्यान में रखकर लाया गया है। अधिक एक्सपायरी के कारण बाजार अवसंरचना और ब्रोकरिंग सिस्टम पर दबाव बढ़ रहा था।