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शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की भारी झड़ी, एक हफ्ते में 17,425 करोड़ रुपये का निवेश

शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की भारी झड़ी, एक हफ्ते में 17,425 करोड़ रुपये का निवेश
अंतिम अपडेट: 8 घंटा पहले

विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में एक हफ्ते में 17,425 करोड़ रुपये का निवेश किया। वैश्विक स्थिरता, डॉलर में गिरावट और भारत के मजबूत ग्रोथ आउटलुक ने निवेशकों को आकर्षित किया।

Share Market: भारतीय शेयर बाजारों में इन दिनों विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ता जा रहा है। पिछले हफ्ते, यानी 18 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह के मुकाबले, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में दिल खोलकर 17,425 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले, 18 अप्रैल तक के हफ्ते में 8,500 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। यह निवेश भारतीय बाजारों की स्थिरता और विकास की संभावनाओं को दर्शाता है।

विदेशी निवेशकों का भरोसा क्यों बढ़ा?

विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने का मुख्य कारण भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और सकारात्मक वैश्विक संकेत हैं। अमेरिका में ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद और डॉलर के स्थिर रहने के कारण उभरते बाजारों जैसे भारत में जोखिम उठाने की क्षमता में वृद्धि हुई है।

इसके अलावा, वैश्विक व्यापार तनावों में कमी और भारतीय बाजार में बेहतर ग्रोथ आउटलुक ने निवेशकों के विश्वास को और मजबूत किया है। महंगाई में कमी और 2025 में सामान्य से अधिक मानसून का पूर्वानुमान भी निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।

भारतीय बाजार के लिए आकर्षक माहौल

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट्स के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, भारत के सकारात्मक आर्थिक संकेत, जैसे कि महंगाई में गिरावट और मजबूत ग्रोथ आउटलुक, विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहे हैं। यह भारतीय बाजार को निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना रहा है।

अप्रैल में हुई निकासी और निवेश की स्थिति

हालांकि, एक ओर जहां विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश बढ़ाया है, वहीं अप्रैल में अब तक 5,678 करोड़ रुपये की निकासी भी हुई है। इस तरह, कुल मिलाकर, 2025 में कुल निकासी 1.22 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

भारतीय बाजार में क्यों बढ़ी दिलचस्पी?

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी.के. विजयकुमार के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर में आई गिरावट और अमेरिका में आर्थिक वृद्धि में संभावित गिरावट के कारण विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बाजारों की ओर बढ़ा है। डॉलर इंडेक्स में गिरावट के साथ, भारतीय बाजारों में निवेश आकर्षक हो गया है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था 6% से अधिक की ग्रोथ के साथ लचीली बनी हुई है।

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