Swiggy-Zomato पर ब्रोकरेज बुलिश, 110% तक अपसाइड की उम्मीद, चेक करें डिटेल्स 

Swiggy-Zomato पर ब्रोकरेज बुलिश, 110% तक अपसाइड की उम्मीद, चेक करें डिटेल्स 
अंतिम अपडेट: 3 घंटा पहले

Swiggy और Zomato के शेयरों में गिरावट के बावजूद ब्रोकरेज फर्मों ने BUY रेटिंग दी है। टैक्स कटौती से फूड डिलीवरी ग्रोथ बढ़ सकती है, जिससे निवेशकों को लॉन्ग टर्म में फायदा हो सकता है।

Swiggy-Zomato: पिछले तीन महीनों में Swiggy और Zomato के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। Swiggy के शेयर करीब 45% तक लुढ़क गए हैं, जबकि Zomato के शेयरों में 30% की गिरावट आई है। इस गिरावट के पीछे क्विक कॉमर्स (QC) बिजनेस में बढ़ते कैश बर्न को मुख्य कारण माना जा रहा है। बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और Zepto जैसी कंपनियों द्वारा आक्रामक छूट देने की रणनीति से Swiggy और Zomato पर दबाव बढ़ गया। हालांकि, ब्रोकरेज फर्म ICICI सिक्योरिटीज का कहना है कि बाजार ने इन चिंताओं को जरूरत से ज्यादा तूल दिया है और मौजूदा वैल्यूएशन अब निवेश के लिए आकर्षक हो गया है।

फूड डिलीवरी बिजनेस को लेकर निवेशकों की अनदेखी

विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक इस समय Swiggy और Zomato के मुख्य फूड डिलीवरी बिजनेस को नजरअंदाज कर रहे हैं। जबकि पिछले दो वर्षों में इस सेक्टर में स्थिर ग्रोथ और मुनाफे में सुधार देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में फूड डिलीवरी ग्रोथ थोड़ी सुस्त जरूर रही, लेकिन इससे यह नहीं कहा जा सकता कि इंडस्ट्री में कोई गंभीर संकट है।

इतिहास पर नजर डालें तो जब भी सरकार ने टैक्स में कटौती की है, उपभोक्ता खर्च में उछाल आया है। 2006, 2011, 2013 और 2014 में टैक्स में कटौती के बाद बाजार में मांग बढ़ी थी। इसी तरह, वित्त वर्ष 2026 के बजट में सरकार ने टैक्स दरों में कटौती की है, जिससे मध्यम वर्ग के लोगों की जेब में ज्यादा पैसा आएगा। इसका सीधा असर फूड डिलीवरी कंपनियों पर पड़ सकता है और इनकी कमाई में सुधार हो सकता है।

क्या क्विक कॉमर्स बिजनेस को लेकर डर सही है?

क्विक कॉमर्स सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और ज्यादा छूट की वजह से निवेशकों की चिंता बढ़ी है। कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए लगातार डिस्काउंट दे रही हैं, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ रहा है। निवेशकों को डर है कि यह रणनीति लंबे समय तक टिकाऊ नहीं होगी।

हालांकि, ICICI सिक्योरिटीज का कहना है कि स्थिति उतनी गंभीर नहीं है जितनी दिखाई जा रही है। हाल के महीनों में क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने अपनी छूट की नीति में बदलाव किया है। अब कंपनियां छोटे ऑर्डर पर ज्यादा छूट देने की बजाय, बड़े ऑर्डर को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही हैं। इससे औसत ऑर्डर वैल्यू (AOV) में सुधार आ सकता है और कंपनियों का घाटा कम हो सकता है।

साथ ही, कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग लागत में कटौती करनी शुरू कर दी है, जिससे उनके प्रॉफिट मार्जिन में सुधार आने की उम्मीद है। हालांकि, इस सेक्टर में अभी भी भारी मुनाफा दिखने में समय लगेगा, लेकिन लंबे समय के निवेशकों के लिए यह अवसर बन सकता है।

क्या ई-कॉमर्स में छूट देने की रणनीति जारी रहेगी?

Swiggy, Zomato और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट दे रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह डिस्काउंट नीति आगे भी जारी रहेगी?

ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि यह रणनीति लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है। बाजार में गिरावट दिखा रही है कि निवेशक अब टिकाऊ और लाभदायक बिजनेस मॉडल पर फोकस कर रहे हैं। यदि कंपनियां सिर्फ छूट देकर बाजार में बने रहने की कोशिश करेंगी, तो उनका वैल्यूएशन प्रभावित होगा और उन्हें भविष्य में फंड जुटाने में दिक्कत आ सकती है।

Swiggy और Zomato के शेयरों की मौजूदा स्थिति

ICICI सिक्योरिटीज का मानना है कि मौजूदा कीमतों पर Swiggy और Zomato के शेयर निवेश के लिए आकर्षक हैं। ब्रोकरेज फर्म ने दोनों कंपनियों को "BUY" रेटिंग दी है।

Swiggy का टारगेट प्राइस: INR 740
Zomato का टारगेट प्राइस: INR 310

आज Swiggy का शेयर BSE पर 350.65 पर बंद हुआ, जिससे यह लॉन्ग टर्म में 110% संभावित रिटर्न दे सकता है। वहीं, Zomato का शेयर BSE पर 226.90 पर बंद हुआ, जिससे यह स्टॉक 37% तक का संभावित रिटर्न दे सकता है।

पिछले 6 महीनों में Swiggy के शेयरों में 23% और Zomato के शेयरों में 6.5% की गिरावट आई है।

Swiggy और Zomato के फूड और क्विक कॉमर्स बिजनेस की वैल्यूएशन

Swiggy का फूड डिलीवरी बिजनेस: INR 998 अरब (USD 11.7 अरब)
Swiggy का क्विक कॉमर्स बिजनेस: INR 428 अरब (USD 5 अरब)
Zomato का फूड डिलीवरी बिजनेस: INR 1.6 लाख करोड़ (USD 19.6 अरब)
Zomato का क्विक कॉमर्स बिजनेस: INR 966 अरब (USD 11.4 अरब)

क्या निवेशकों को Swiggy और Zomato में निवेश करना चाहिए?

ICICI सिक्योरिटीज के अनुसार, Swiggy और Zomato मौजूदा कीमतों पर लॉन्ग टर्म निवेश के लिए अच्छे विकल्प हो सकते हैं। सरकार द्वारा टैक्स कटौती से मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे इन कंपनियों को फायदा मिलेगा।

हालांकि, इस सेक्टर में कुछ जोखिम भी हैं। यदि उपभोक्ताओं का खर्च धीमा पड़ता है या सरकार नई नीतिगत बाधाएं लाती है, तो ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। लेकिन ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि बाजार में आई मौजूदा गिरावट के बाद ये शेयर अब आकर्षक निवेश विकल्प बन चुके हैं।

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