केंद्र सरकार अब ऊर्जा स्टोरेज (Energy Storage) संयंत्रों को मुफ्त बिजली की राजनीति से दूर रखने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। सरकार का नया प्लान है कि यदि किसी राज्य में ऊर्जा स्टोरेज क्षमता स्थापित की जाती है और जरूरत पड़ने पर उससे बिजली की आपूर्ति की जाती है, तो उसका पूरा भुगतान उपभोक्ताओं से लिया जाएगा। इसका उद्देश्य मुफ्त बिजली देने की सियासत पर रोक लगाना है।
नई दिल्ली: देश में मुफ्त बिजली देने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, और कई राज्य इसे अपनी राजनीति का हिस्सा बना चुके हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार की योजना साफ हो गई है कि ऊर्जा स्टोरेज (Energy Storage) वाले संयंत्रों को इस मुफ्त बिजली की राजनीति से बाहर रखा जाए।
इसका मतलब है कि यदि किसी राज्य में ऊर्जा स्टोरेज क्षमता स्थापित की जाती है और उससे बिजली की आपूर्ति की जाती है, तो उसकी पूरी कीमत उपभोक्ताओं से वसूली जाएगी। सरकार चाहती है कि राज्य इस बिजली को मुफ्त में किसी वर्ग को न दें, ताकि मुफ्त बिजली की राजनीति पर नियंत्रण किया जा सके।
देश में बिजली स्टोरेज क्षमता बढ़ाने की योजना
बिजली स्टोरेज क्षमता को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी योजना बनाई है। हाल ही में केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में राज्यों के बिजली मंत्रियों और मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई, जिसमें सरकार की तरफ से बिजली स्टोरेज क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया। सरकार का लक्ष्य है कि 2029-30 तक देश में 60-70 हजार मेगावाट बिजली स्टोरेज क्षमता स्थापित की जाए, जबकि वर्तमान में देश में यह क्षमता काफी सीमित है। इस योजना का उद्देश्य ऊर्जा भंडारण क्षमता को मजबूत कर देश में बिजली आपूर्ति को और अधिक सुदृढ़ बनाना है।
बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, भारत का लक्ष्य वर्ष 2070 तक नेट जीरो बनने का है, जिसके लिए रिन्यूएबल एनर्जी की आपूर्ति महत्वपूर्ण होगी। इस निर्बाध आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए देश में पर्याप्त ऊर्जा स्टोरेज क्षमता का होना जरूरी है। क्योंकि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे रिन्यूएबल स्रोतों से 24 घंटे लगातार बिजली उत्पादन संभव नहीं है। इसीलिए, ऊर्जा स्टोरेज क्षमता को बढ़ाना देश की ऊर्जा नीति का अहम हिस्सा बन गया है, ताकि इन स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा को स्टोर किया जा सके और आवश्यकता के समय उसे इस्तेमाल किया जा सके।
क्या राज्यों को नहीं मिलेगी अब मुफ्त बिजली?
केंद्र सरकार ऊर्जा स्टोरेज तकनीक के लिए नए विकल्पों को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। इसमें बैट्री स्टोरेज सबसे प्रमुख है, लेकिन इसके अलावा पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज, कंप्रेस्ड एयर इनर्जी स्टोरेज और थर्मल इनर्जी स्टोरेज जैसी प्रौद्योगिकी आधारित प्रणालियां भी शामिल हैं। वर्तमान में, किसी भी ऊर्जा प्लांट से उत्पादित बिजली का एक हिस्सा संबंधित राज्य को मुफ्त में दिया जाता है, लेकिन केंद्रीय बिजली मंत्रालय का कहना है कि बैट्री स्टोरेज संयंत्रों के मामले में यह नीति लागू नहीं होगी।
बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यदि राज्य बैट्री स्टोरेज से ऊर्जा प्राप्त करता है, तो उसे इसके लिए शुल्क चुकाना होगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ऊर्जा स्टोरेज क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता देने की दिशा में भी काम कर रही है। यह योजना देश में अधिक से अधिक ऊर्जा भंडारण क्षमता स्थापित करने के लिए बनाई जा रही है, जिससे निजी और सरकारी क्षेत्र की कंपनियों की मदद से ऊर्जा की सुरक्षित भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सके।
बैट्री स्टोरेज के लिए मिलेगा वित्तीय प्रोत्साहन?
केंद्र सरकार बैट्री स्टोरेज क्षमता स्थापित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है, जो आगामी वर्ष 2025-26 के आम बजट में घोषित हो सकता है। यह प्रोत्साहन विशेष रूप से कर छूट के रूप में दिया जाएगा। इस प्रस्ताव पर भारी उद्योग मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच बातचीत अंतिम चरण में है।
वित्तीय प्रोत्साहन के विषय में चर्चा होने के कारण, 2024 में लगभग 10,000 मेगावाट क्षमता वाले बैट्री स्टोरेज सिस्टम के लिए निविदा जारी करने की योजना फिलहाल स्थगित कर दी गई है। इस योजना की घोषणा आगामी वर्ष में वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा के बाद की जाएगी।
बीईएसएस स्थापित करने का काम तेजी से जारी
देशभर के कई राज्यों में बैट्री एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) की स्थापना का कार्य तेजी से चल रहा है। उदाहरण के तौर पर, सन सोर्स एनर्जी लक्षद्वीप में और टाटा पावर छत्तीसगढ़ और लेह में इस प्रणाली को स्थापित कर रही है। इसके अलावा, हाल ही में जेएसडब्लू रीन्यू ने 500 मेगावाट क्षमता के बीईएसएस स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।
केंद्रीय बिजली आयोग (सीईसी) द्वारा जारी राष्ट्रीय बिजली योजना-2023 के अनुसार, वर्ष 2030-31 तक देश में बीईएसएस की क्षमता 2.36 लाख मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके लिए सरकार ने वर्ष 2021 में प्रोडक्शन लिंक्ड योजना (PLIs) भी शुरू की थी। इसके साथ ही, पम्पड हाइड्रो स्टोरेज सिस्टम जैसे अन्य ऊर्जा स्टोरेज विकल्पों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस प्रणाली में पानी को ऊंचे स्थानों पर संग्रहित किया जाता है और जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर बिजली उत्पादन किया जाता है।