Odisha: ओडिशा में जगन्नाथ की दो दिवसीय रथयात्रा, 7 जुलाई से शुरू होगी यात्रा, जानें इसकी महिमा

Odisha: ओडिशा में जगन्नाथ की दो दिवसीय रथयात्रा, 7 जुलाई से शुरू होगी यात्रा, जानें इसकी महिमा
Last Updated: 30 नवंबर -0001

ओडिशा के प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ धाम में निकलने वाली रथयात्रा दो दिन तक चलेगी। जगन्नाथ का पंचांग बनाने वाले ज्योतिषी का कहना है कि इस वर्ष आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की तिथियों में कमी हुई है। इस वजह से रथयात्रा से पहले होने वाली पूजा की परंपराएं 7 जुलाई की शाम तक जारी रहेंगी। उसके बाद रथयात्रा प्रारंभ करके रथों को 8 जुलाई को खींचकर श्रीगुडिचा मंदिर तक लाया जाएगा।

Puri Jagannath Dham: इस वर्ष पुरी जगन्नाथ धाम में एक दिन की नहीं बल्कि दो दिन तक महाप्रभु की रथयात्रा होगी। जानकारी के अनुसार, ऐसा अवसर 53 वर्षों के अंतराल के बाद मिला है। इससे पहले 1971 में ऐसा हुआ था और भक्त तब महाप्रभु के नवयौवन रूप का दर्शन नहीं कर पाए थे।

इसी दौरान मंदिर पंजिका के अनुसार रथ पर आज्ञा माला बिजे 6 जुलाई को ही किया जाएगा। महाप्रभु की रथयात्रा 7 जुलाई शाम को शुरू होगी और 8 जुलाई को खींचकर श्रीगुडिचा मंदिर तक लाया जाएगा। 

दो दिन तक होगी रथयात्रा

subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसार, इस साल पुरी जगन्नाथ में निकलने वाली महाप्रभु की रथयात्रा दो दिन तक चलेगी। बता दें कि जगन्नाथ मंदिर का पंचांग बनाने वाले ज्योतिषी का कहना है कि इस वर्ष के आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की तिथियां घट गई। इस दौरान रथयात्रा से पहले होने वाली मंदिर की पूजा परंपराएं 7 जुलाई की शाम तक चलेंगी। कहा गया है कि इनमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, इसलिए हर साल सुबह होने वाली रथयात्रा इस बार 7 जुलाई की शाम को शुरू होगी।

महाप्रभु 14 दिन तक रहते हैं बीमार

बता दें कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि, आमतौर पर स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़ा सुगंधित जल से प्रभु को स्नान कराने के बाद वह 14 दिन के लिए बीमार हो जाते हैं। हालांकि, इस बार पुरी जगन्नाथ मंदिर पांचांग के अनुसार महाप्रभु की अणवसर अवधि एक दिन घटी है यानी 13 दिनों की हुई है। इस कारण नेत्रोत्सव, नवयौवन वेश और रथ यात्रा एक ही दिन कराये जायेंगे।

subkuz.com को बताया गया कि इस अणवसर का समय 13 दिन का होने के बावजूद, बामदेव संहिता और नीलाद्री महोदया अभिलेखों के मुताबिक इसे 15 दिन का मनाया जाना अनिवार्य है। ऐसे में स्नान पूर्णिमा 22 जून को हुई थी जबकि, 15 दिन का अणवसर 6 जुलाई को ही समाप्त हो जाएगा।

एक ही दिन होगी सभी विधियां

हालांकि, जगन्नाथ मंदिर की पंजिका के मुताबिक नेत्रोत्सव, नव यौवन दर्शन एवं रथयात्रा ये सभी एक ही दिन बताया जा रहा है, ऐसे में सभी नीतियों को पुनर्निर्धारित किया गया है। इसी दौरान कहा है कि 53 वर्ष के अंतराल के बाद (1971) ऐसा हो रहा है कि नव यौवन दर्शन, नेत्रोत्सव एवं रथयात्रा तीनों एक ही दिन यानि 7 जुलाई को पड़ रही है।

तीन किलोमीटर तक होगी यात्रा

बताया जा रहा है कि हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मुख्य जगन्नाथ मंदिर से 3 किमी दूरी की यात्रा करते हुए गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। इसी परंपरा के दौरान महाप्रभुअगले सात दिनों तक इसी मंदिर में विश्राम करते हैं। इसके बाद 8वें दिन यानी आषाढ़ की दशमी तिथि को तीनों रथ मुख्य मंदिर के लिए लौटते हैं। बता दें कि महाप्रभु की मुख्य मंदिर वापसी वाली यात्रा को 'बहुड़ा यात्रा' भी कहा जाता है।

 

 

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