इलाही निजामुद्दीन की दरगाह में आज वसंतोत्सव मशहूर शायर अमीर खुसरो के वसंत पर लिखे नज्मों की होगी बरसात
दिल्ली में महबूब इलाही निजामुद्दीन की दरगाह में आज (14 फरवरी) शाम चार बजे से धूमधाम और परंपरागत तरीके से वसंतोत्सव मनाया जाएगा। पीली चादर के साथ पीले सरसो व गेंदे के फूल निजामुद्दीन दरगाह के हर कोने को विशेष खुशबू से महका देंगे। कव्वाली में मशहूर शायर अमीर खुसरो के वसंत पर लिखे नज्मों की बरसात होगी। इस अवसर पर हजारों लोग पीले परिधान और पीले फूल लिए शामिल होंगे।
subkuz.com को प्राप्त जानकारी के अनुसार इस उत्सव में हर धर्म और जाती के लोग शामिल होते है. इस उत्सव के लिए दरगाह में तैयारियां पूरी कर ली है. दरगाह को विशेष पीली लाइटों से सजाया गया है। इस उत्सव को मनाने की अनूठी परंपरा 800 वर्षो से चली आ रही है. विदेशी शैलानी भी इस उत्सव को देखने तथा महसूस करने विशेष तौर पर दिल्ली आते हैं।
ऐसे शुरू हुआ था यह उत्सव
महबूब इलाही निजामुद्दीन की दरगाह में Subkuz.com के पत्रकारों से बातचीत करते हुए दरगाह प्रमुख ने बताया कि हजरत निजामुद्दीन का अपने भांजे ख्वाजा तकीउद्दीन नूंह से गहरा लगाव था। बीमारी के कारण हजरत निजामुद्दीन का निधन हो गया. उनकी मौत के कारण ख्वाजा तकीउद्दीन नूंह और निजामुद्दीन औलिया दुखी रहने लगे थे. उनके इस हाल को देखकर उनके अनुयायी हजरत अमीर खुसरो परेशान थे।
बताया कि एक दिन अमीर खुसरो ने महिलाओं के एक समूह को पीले वस्त्र पहनकर और सरसों के फूल हाथ में लिए गाते हुए जाते देखा था। खुसरो ने महिलाओं को इसके बारे में पूछा तो उन महिलाओं ने बताया कि वे अपने भगवान को खुश करने के लिए यह पीले वस्त्र पहनकर फूल चढ़ाने मंदिर जा रही है।
महिलाओं के बताने के बाद अमीर खुसरो ने तुरंत पीली साड़ी पहनकर और हाथ में सरसो का फूल लेकर "सकल बन फूल रही सरसो' गाते हुए हजरत निजामुद्दीन की दरगाह के पास पहुंच गए और नृत्य करने लगे। उन्हें ऐसा करता देख निजामुद्दीन औलिया के चेहरे पर मुस्कान आ गई। जिससे अमीर खुसरो की परशानी भी दूर हो गई. कहां जाता है कि उस दिन से बसंत पंचमी का पर्व दरगाह पर मनाया जा रहा हैं।