Delhi Politics: जंतर-मंतर में सभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने जनता से पूछा - 'चोर कौन हैं, मैं या भाजपा', मोहन भागवत से भी किए 5 सवाल

Delhi Politics: जंतर-मंतर में सभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने जनता से पूछा - 'चोर कौन हैं, मैं या भाजपा', मोहन भागवत से भी किए 5 सवाल
Last Updated: 2 घंटा पहले

अरविंद केजरीवाल ने आज जंतर-मंतर पर जनता की अदालत को संबोधित करते हुए भाजपा पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि अब यह जनता को तय करना है कि चोर कौन है - वह खुद या भाजपा। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि जब उन्हें जेल भेजा गया, तभी उन्होंने यह निर्णय लिया कि वह जनता के पास जाएंगे और अपनी ईमानदारी का प्रमाण मांगेंगे।

नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर 'जनता की अदालत' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पिछले दस सालों से उनकी सरकार ने ईमानदारी से काम किया है, जिसमें उन्होंने बिजली, पानी, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं को मुफ्त और बेहतर बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी जी को यह चिंता होने लगी कि अगर वह आम आदमी पार्टी से चुनाव जीतना चाहते हैं, तो उन्हें केजरीवाल और आप की ईमानदारी को निशाना बनाना होगा। केजरीवाल ने कहा कि इसके तहत उनके और पार्टी के नेताओं, जैसे मनीष सिसोदिया को बेईमान साबित करने की साजिश रची गई और उन्हें जेल भेजा गया।

केजरीवाल ने जेपी नड्डा पर साधा निशाना

अरविंद केजरीवाल का बयान, जिसमें उन्होंने आरएसएस और बीजेपी के रिश्तों पर तंज कसते हुए जेपी नड्डा की टिप्पणी को निशाना बनाया है, ने राजनीतिक माहौल में नई बहस छेड़ दी है। केजरीवाल ने जेपी नड्डा के उस कथित बयान की आलोचना की है जिसमें नड्डा ने कहा था कि "बीजेपी को आरएसएस की जरूरत नहीं है।" इस टिप्पणी ने विशेषकर उन लोगों के बीच हलचल पैदा की है, जो बीजेपी और आरएसएस के घनिष्ठ संबंधों को महत्वपूर्ण मानते हैं।

केजरीवाल ने इस संबंध में तीखे शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि आरएसएस बीजेपी की "मां" की तरह है, और आज बीजेपी "अपनी मां को आंखें दिखा रही है।" इस तंज ने इस रिश्ते में संभावित तनाव और असंतोष को उजागर किया है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या बीजेपी और आरएसएस के सदस्यों को नड्डा की इस टिप्पणी से ठेस नहीं पहुंची हैं।

केजरीवाल की इस टिप्पणी ने बीजेपी और आरएसएस के संबंधों की पारंपरिक छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो लंबे समय से एकजुटता और विचारधारा में समानता के प्रतीक माने जाते रहे हैं। अब यह देखना होगा कि इस पर आरएसएस और बीजेपी किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं, और यह मुद्दा राजनीतिक परिदृश्य में कैसे विकसित होता हैं।

पूर्व सीएम केजरीवाल ने मोहन भागवत से मांगे पांच सवालों के जवाब

1. जिस प्रकार मोदी जी देशभर में लालच देकर या ED-CBI का डर दिखाकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ रहे हैं और सरकारें गिरा रहे हैं, क्या यह देश के लोकतंत्र के लिए सही है? क्या आप नहीं मानते कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए हानिकारक है?

2. मोदी जी ने देशभर में सबसे भ्रष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है। जिन नेताओं को उन्होंने कुछ समय पहले खुद सबसे भ्रष्ट कहा, अब उन्हीं को भाजपा में शामिल कर लिया गया है। क्या आपने ऐसी भाजपा की कभी कल्पना की थी? क्या इस तरह की राजनीति पर आपकी सहमति हैं?

3. भाजपा RSS की कोख से उत्पन्न हुई है। कहा जाता है कि यह देखना RSS की जिम्मेदारी है कि भाजपा गलत दिशा में जाए। क्या आप आज की भाजपा के कदमों से सहमत हैं? क्या आपने कभी मोदी जी से कहा है कि उन्हें यह सब नहीं करना चाहिए?

4. जेपी नड्डा ने चुनाव के समय कहा था कि बीजेपी को RSS की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि RSS बीजेपी की मां के समान है। क्या ऐसा है कि बेटा इतना बड़ा हो गया है कि मां को आँखें दिखाने लगा है? जिस बेटे ने माता की गोद में पलकर बड़ा हुआ, प्रधानमंत्री बना, वही आज अपनी माता तुल्य संस्था को चुनौती दे रहा है। जब नड्डा जी ने यह कहा, क्या आपको दुख नहीं हुआ? क्या RSS के हर कार्यकर्ता को इस बात की पीड़ा नहीं हुई?

5. RSS और बीजेपी ने मिलकर यह नियम बनाया था कि 75 वर्ष की आयु में किसी भी व्यक्ति को रिटायर होना पड़ेगा। इस नियम के तहत आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी जी जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी रिटायर किया गया। अब अमित शाह कह रहे हैं कि यह नियम मोदी जी पर लागू नहीं होगा। क्या आप इससे सहमत हैं कि जो नियम आडवाणी जी पर लागू हुआ, वह मोदी जी पर लागू नहीं होगा?

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