रिम्स के डॉक्टरों के हाथ से लिखी हुई पर्चियां एक पहेली से काम नहीं है। जब मरीज उस पर्ची को लेकर मेडिकल शॉप पर जाता हैं तो उन्हें भी नहीं समझ आता की आखिर इसमें क्या मेडिसिन लिखी हुई है। बहुत से ऐसे केस भी देखने को मिले जब मरीज को बुखार के लिए दवा दी गई हैं और उसे पेट दर्द की दवा मिल रही है। जब पूरे मामले पर गौर किया और रिम्स परिसर में मरीजों और मेडिकल दुकानदारों से बात की, तो पता चला कि एक महीने में रिम्स के विभिन्न विभागों में 20 से अधिक ऐसे मामले सामने आए है।
डॉक्टर की हैंडराइटिंग मेडिकल वालो को नहीं आ रही हैं समझ
दवाओं के नाम डॉक्टर की लिखावट में ऐसे लिखे होते हैं कि दवा दुकानों में उपलब्ध होने के बावजूद भी या तो गलत दवा दे देते हैं या फिर दवा दी ही नहीं जाती। मरीजों के परिजनों ने यह भी कहा कि गलत दवा की खुराक पूरी करने के बाद मरीज दोबारा डॉक्टर के पास आते थे तो डॉक्टर उन्हें डांटते थे और उनपे इल्जाम लगते हैं की तुमने सही दवाई नहीं ली। ऐसे में समस्या और भी बड़ी हो जाती है।
रिम्स के डॉक्टरों द्वारा लिखी हुई पर्ची को जब देखा गया तो पाया की कुछ विभागों में डॉक्टरों की लिखावट इतनी गंदी हो गई थी कि उसे सही से पढ़ना संभव नहीं था। जब मरीज इन पर्चियों को लेकर फार्मेसी स्टोर तक पहुंचे तो फार्मेसी स्टोर वालो का यही कहना था की आप दुबारा डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन लिखवाकर लाओ ये हमें समझ नहीं आ रहा है। इसके अलावा कुछ दवाइयों के नाम देखकर मेडिकल वाले से ये ही सुनने को मिला की ये दवाई हमारे पास उपलब्ध नहीं है। ऐसे में ये जनता की जान के साथ खिलवाड़ हैं इसके ऊपर प्रशासन को जल्द ही कोई कदम उठाना चाहिए।