‘पिंटू की पप्पी’ रिव्यू: सुशांत थमके-जान्या जोशी की फिल्म कैसी है?

‘पिंटू की पप्पी’ रिव्यू: सुशांत थमके-जान्या जोशी की फिल्म कैसी है?
अंतिम अपडेट: 7 घंटा पहले

‘पिंटू की पप्पी’ रिव्यू: सुशांत थमके और जान्या जोशी की डेब्यू फिल्म ‘पिंटू की पप्पी’ आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। अगर आप इसे देखने का सोच रहे हैं, तो पहले जान लें इसका रिव्यू।

एंटरटेनमेंट डेस्क: सुशांत थमके और जान्या जोशी की डेब्यू फिल्म ‘पिंटू की पप्पी’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म एक फुल मसाला एंटरटेनर है, जिसमें कॉमेडी, रोमांस और ड्रामा का मजेदार तड़का देखने को मिलता है। भले ही फिल्म महान नहीं है, लेकिन यह बुरी भी नहीं कही जा सकती। खासकर जब देखा जाए कि कई नेपो किड्स की कमज़ोर फिल्मों को जबरदस्त प्रमोशन दिया जाता है, वहीं इस फिल्म को वो हाईप नहीं मिली। नए कलाकारों ने शानदार काम किया है और अगर आप हल्की-फुल्की टाइमपास फिल्म देखना चाहते हैं, तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

कहानी: पप्पी से होती है शादी

फिल्म की कहानी पिंटू (सुशांत थमके) नाम के एक लड़के की है, जिसकी हर गर्लफ्रेंड उसे छोड़कर चली जाती है। परेशान होकर वह अपने मामा गणेश आचार्य के पास जाता है, जहां उसे पता चलता है कि जिसे भी वह पप्पी देता है, उसकी शादी हो जाती है! इस दिलचस्प तथ्य को बिजनेस आइडिया में बदलते हुए, मामा-भांजा मिलकर लड़कियों की शादी करवाने का काम शुरू कर देते हैं। लेकिन जब पिंटू खुद एक लड़की (जो एक नेता की बेटी होती है) से प्यार कर बैठता है, तो हालात बदल जाते हैं। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उसे उसी लड़की से शादी करनी होती है, जिसकी शादी कराने के पैसे वह पहले ही ले चुका होता है! आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

एक्टिंग: नए कलाकारों ने किया प्रभावित

फिल्म में सभी लीड एक्टर नए हैं, लेकिन उनके परफॉर्मेंस को देखकर ऐसा नहीं लगता। सुशांत थमके ने अच्छी कॉमेडी टाइमिंग दिखाई है, उनका डांस और इमोशनल सीन्स भी अच्छे लगे हैं। जान्या जोशी स्क्रीन पर प्यारी लगती हैं और उनका अभिनय काफी नेचुरल है। उन्हें और अच्छे मौके मिलने चाहिए। विधि यादव भी अपने मासूम अंदाज से इंप्रेस करती हैं। गणेश आचार्य ने मामा के किरदार में शानदार कॉमिक टाइमिंग दिखाई है, साथ ही उनके ठुमके भी फिल्म में देखने को मिलते हैं। विजय राज और मुरली शर्मा जैसे कलाकारों की मौजूदगी ने फिल्म में एक्स्ट्रा पंच डाला है।

डायरेक्शन: सीमित बजट में अच्छा काम

फिल्म का डायरेक्शन शिव हरे ने किया है और उन्होंने लो-बजट फिल्म में भी एक फ्रेश अपील बनाए रखी है। फिल्म की स्टोरीलाइन में नया पन है और इसे एंटरटेनिंग तरीके से पेश किया गया है। हालांकि, कहानी और स्क्रीनप्ले और मजबूत हो सकते थे, लेकिन फिर भी, यह फिल्म आपको बोर नहीं करती।

म्यूजिक: ग्रैंड सॉन्ग सीक्वेंस हैं हाईलाइट

फिल्म का म्यूजिक नितिन अरोड़ा ने दिया है और गाने अच्छे बन पड़े हैं। गणेश आचार्य की मौजूदगी ने गानों को ग्रैंड ट्रीटमेंट दिया है। गाने फिल्म की कहानी में अच्छे से घुलते हैं और जब-जब आते हैं, मूड सेट कर देते हैं।

क्या देखनी चाहिए यह फिल्म?

अगर आप हल्की-फुल्की कॉमेडी और नए कलाकारों की फ्रेश परफॉर्मेंस देखना पसंद करते हैं, तो 'पिंटू की पप्पी' आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकती है। यह कोई महान फिल्म नहीं है, लेकिन कई बड़े स्टार्स की फिल्मों से बेहतर जरूर है। ऐसे में अगर आप नए टैलेंट को सपोर्ट करना चाहते हैं, तो थिएटर जाकर पिंटू से पप्पी ले सकते हैं।

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