2 अप्रैल से ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू, भारतीय निर्यातकों को 31 बिलियन डॉलर तक नुकसान संभव, फार्मा, टेक और ज्वैलरी सेक्टर पर सीधा प्रभाव।
US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहे हैं, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ना तय है। भारत, जिसे ट्रंप पहले ही 'टैरिफ किंग' कह चुके हैं, इस नए टैरिफ के सबसे बड़े निशाने पर है। माना जा रहा है कि इससे भारत को 31 बिलियन डॉलर तक के संभावित निर्यात घाटे का सामना करना पड़ सकता है।
किन सेक्टर्स पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
ट्रंप के टैरिफ प्लान से भारतीय ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और जेम्स-ज्वैलरी सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है। हाल ही में अमेरिका ने इम्पोर्टेड कारों और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी, और अब फार्मा, टेक और ज्वैलरी सेक्टर पर असर पड़ने की आशंका है।
फार्मा सेक्टर पर पड़ेगा सबसे गहरा असर
भारत अमेरिकी बाजार में सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का सप्लायर है। मौजूदा समय में अमेरिका फार्मा इम्पोर्ट पर बहुत कम टैरिफ लगाता है, जबकि भारत अमेरिकी फार्मा उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाता है। ट्रंप की नई नीति के तहत अब भारतीय दवा कंपनियों को भारी टैरिफ चुकाना पड़ सकता है, जिससे उनकी लागत और मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा।
कौन-कौन सी कंपनियां होंगी प्रभावित?
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप की नई टैरिफ नीति का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ेगा। खासतौर पर सन फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन, डॉ. रेड्डीज और डिवीज लैब्स जैसी फार्मा कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। टेक इंडस्ट्री में डिक्सन टेक्नोलॉजीज और केनेस टेक पर असर पड़ सकता है, जबकि ज्वैलरी सेगमेंट में मालाबार गोल्ड, रेनेसां ज्वैलरी, राजेश एक्सपोर्ट्स और कल्याण ज्वैलर्स प्रभावित हो सकते हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर दबाव
अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है और 2000 से अब तक भारत में 67.76 बिलियन डॉलर का FDI कर चुका है। वित्त वर्ष 2024 में भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 77.5 बिलियन डॉलर था, जबकि अमेरिका से भारत को 40.7 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट हुआ। ऐसे में ट्रंप की टैरिफ नीति से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ने की आशंका है।
आईटी सेक्टर पर भी पड़ेगा असर
भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों इन्फोसिस और टीसीएस को भी इस टैरिफ पॉलिसी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने से इन कंपनियों को क्लाइंट्स से कम खर्च मिलने की संभावना है, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ेगा।