औरंगजेब कब्र विवाद: राज्य सरकार क्या इसे हटा सकती है? जानिए कानूनी पहलू

औरंगजेब कब्र विवाद: राज्य सरकार क्या इसे हटा सकती है? जानिए कानूनी पहलू
अंतिम अपडेट: 10 घंटा पहले

महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कई हिंदूवादी संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया है, वहीं महाराष्ट्र सरकार के कुछ नेता भी इसे हटाने की मांग का समर्थन कर चुके हैं।

मुंबई: महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कई हिंदूवादी संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया है, वहीं महाराष्ट्र सरकार के कुछ नेता भी इसे हटाने की मांग का समर्थन कर चुके हैं। इस विवाद के चलते इलाके में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार वास्तव में औरंगजेब की कब्र को हटा सकती है? इसके पीछे क्या कानूनी प्रक्रिया होगी? आइए विस्तार से समझते हैं।

क्या राज्य सरकार को कब्र हटाने का अधिकार है?

खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है। 1951 में जारी एक सरकारी अधिसूचना के तहत इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची में शामिल किया गया था। इसके बाद, 1958 के Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act (AMASR) के तहत यह पूरी तरह से संरक्षित इमारत घोषित की गई।

इस कानून के अनुसार, कोई भी संरक्षित स्मारक बिना केंद्र सरकार की अनुमति के न तो हटाया जा सकता है, न ही क्षति पहुंचाई जा सकती है। AMASR एक्ट के सेक्शन-19 के तहत, ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है। इसलिए, महाराष्ट्र सरकार के पास सीधे इस कब्र को हटाने का कोई अधिकार नहीं हैं।

तो फिर किसके पास है पावर?

यदि महाराष्ट्र सरकार इस कब्र को हटाना चाहती है, तो उसे संस्कृति मंत्रालय या ASI को इसे संरक्षित स्मारकों की सूची से हटाने का प्रस्ताव भेजना होगा। इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिया जाएगा। यदि संस्कृति मंत्रालय इसे हटाने की अनुमति देता है, तो यह संरक्षित स्मारक की श्रेणी से बाहर हो जाएगा, जिसके बाद इसे हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती हैं।

वक्फ बोर्ड का दावा और कानूनी अड़चनें

एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 1973 से यह कब्र महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में भी दर्ज है। अगर ASI इसे अपनी संरक्षित सूची से हटा भी देता है, तो यह संपत्ति पूरी तरह से वक्फ बोर्ड के अधिकार में आ जाएगी। ऐसे में सरकार को यह साबित करना होगा कि यह भूमि वक्फ की नहीं है, ताकि इसे हटाने का कोई रास्ता निकाला जा सके।

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