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बीजेपी-RSS संघ के रिश्तों में आई नई गर्मी, जानें पीएम मोदी के आरएसएस मुख्यालय दौरे के पीछे की कहानी

बीजेपी-RSS संघ के रिश्तों में आई नई गर्मी, जानें पीएम मोदी के आरएसएस मुख्यालय दौरे के पीछे की कहानी
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय का दौरा किया। सत्ता में आने के बाद यह उनका पहला दौरा था। इस दौरे को बीजेपी और आरएसएस के बीच संबंधों में सुलह का संकेत माना जा रहा है। 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया नागपुर दौरा सियासी गलियारों में खासा चर्चा का विषय बन गया है। सत्ता में आने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय का दौरा किया। यह दौरा न सिर्फ बीजेपी-संघ के रिश्तों में आई खटास को दूर करने का संकेत है, बल्कि आगामी चुनावी रणनीतियों की भी झलक दिखाता है।

आरएसएस मुख्यालय पहुंचकर पीएम मोदी ने दी संगठन को सराहना

प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय जाकर संगठन की जमकर तारीफ की। उन्होंने संघ के अनुशासन, समर्पण और राष्ट्रसेवा की भावना को सराहा। प्रधानमंत्री का यह दौरा इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि 2014 में सत्ता में आने के बाद यह उनका पहला दौरा था। इस दौरे के दौरान मोदी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुलाकात की। 

दोनों ने हेडगेवार स्मृति मंदिर में श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर का दौरा किया। इससे पहले, पिछले साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर भी मोदी और भागवत एक मंच पर दिखे थे।

बीजेपी-संघ रिश्तों में क्यों आई थी खटास?

लोकसभा चुनाव में अपेक्षा से कम सीटें मिलने के बाद बीजेपी और संघ के बीच मतभेद की खबरें सामने आई थीं। बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के एक बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि "बीजेपी अब आत्मनिर्भर है और संघ पर निर्भर नहीं है।" इस बयान को लेकर संघ में नाराजगी की खबरें आई थीं।

चुनावी हार के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। कहा जा रहा है कि इन चुनावों में संघ ने बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई।

संघ नेताओं ने मतभेद की खबरों को नकारा

संघ के वरिष्ठ नेता एच. वी. शेषाद्रि ने बीजेपी और संघ के बीच मतभेद की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि "ऐसी बातें वे लोग करते हैं जो संघ और बीजेपी को सही से नहीं समझते।" उन्होंने कहा कि संघ और बीजेपी के रिश्ते विचारधारा आधारित हैं और सत्ता से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, बीजेपी के कुछ नेताओं ने यह माना कि संघ को पार्टी की व्यक्तित्व-आधारित राजनीति पर आपत्ति थी। बीजेपी ने मोदी ब्रांड पर ही चुनावी राजनीति को केंद्रित कर दिया था, जिससे संघ में असंतोष की स्थिति बनी।

संघ-बीजेपी रिश्तों में नया मोड़

नागपुर दौरे के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी और संघ के बीच संबंधों में फिर से गर्मजोशी लौट रही है। प्रधानमंत्री मोदी का संघ मुख्यालय जाना यह दिखाता है कि बीजेपी ने संघ के महत्व को समझा है और आगामी चुनावों के लिए उसकी ताकत का उपयोग करना चाहती है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा इसलिए भी अहम है क्योंकि यह संघ के शताब्दी समारोह और बीजेपी की बेंगलुरु राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले हुई है। बेंगलुरु में होने वाली बैठक में बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा की संभावना है, जो आगामी चुनावी रणनीतियों में संघ की भूमिका को और स्पष्ट कर सकता है।

राजनीतिक संदेश और आगामी चुनाव

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देता है। बीजेपी और संघ ने एक बार फिर से एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में दोनों का यह समन्वय भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। संघ और बीजेपी के रिश्तों में आई इस नई गर्मी से साफ है कि दोनों संगठन एक बार फिर से एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। मोदी का संघ मुख्यालय दौरा इस बात का संकेत है कि बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए संघ के महत्व को स्वीकार किया है।

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