भारत बनने जा रहा है दुनियां का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश, स्वास्थ्य, ग़रीबी, रोजगार किस पर क्या पड़ेगा असर
संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में जो आंकड़े जारी किये हैं उसके मुताबिक़ भारत इस साल जून तक चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत की आबादी साल के मध्य तक 142 करोड़ 86 लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है। जो की चीन की आबादी 142 करोड़ 57 लाख है, उससे 29 लाख ज़्यादा हो जायेगी।
भारत में साल 2011 के बाद से कोई जनगणना नहीं हुई है इसलिए ये बता पाना की इस समय भारत की जनसंख्या कितनी है ये थोड़ा मुश्किल है और इस तरह का कोई आधिकारिक आंकड़ा या जानकारी भी उपलब्ध नहीं है.लेकिन सन 2020 में नेशनल कमीशन ऑन पॉपुलेशन ने जनसंख्या के अनुमानों पर एक रिपोर्ट जारी की थी, उस रिपोर्ट ये कहा गया था कि साल 2011 से साल 2036 के बीच के 25 सालों में भारत की जनसंख्या 121 करोड़ दस लाख से बढ़कर करीब 152 करोड़ 20 लाख हो जाएगी.
बढ़ती आबादी के साथ ही देश के संसाधनों पर दबाव भी बढ़ जाएगा, और, स्वास्थ्य, ग़रीबी, रोजगार बूढ़े लोगों की देखभाल जैसे नीति-निर्माण को लेकर सरकार और समाज की चुनौतियां भी बढ़ेंगीं। कई जानकारों का कहना है कि भारत में अब ज्यादा लोग पहले की तुलना में लम्बी उम्र तक जी रहे हैं और ये भी की अब पहले की तुलना में देश में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं जिसके कारण भारत की जनसंख्या की वृद्धि दर नीचे की तरफ जा रही है। जानकारों का ये भी कहना है की वृद्धि दर भले ही घट रही हो इसके बावजूद भी भारत की जनसंख्या का बढ़ना जारी है और ऐसा अगले कई सालों तक जारी रहेगा।
जनसंख्या का बढ़ना कई देशों के लिए बहोत ख़ुशी की बात होती है तो कई देशों के सामने कई तरह की चुनौतियाँ भी लेकर आती है, तो इससे भारत के सामने जो चुनौतियाँ पेश होंगी, आइये उन पर एक नज़र डालते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव
बढ़ती जनसंख्या की वजह से जो सबसे बड़ी चुनौती पैदा होती है वो है प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव का बढ़ जाना, जैसे की ज़मीन, पानी, जंगल और खनिज जनसंख्या के बढ़ने की वजह मांग और जरूरतें जब ज्यादा होगी तो औटोमेटिकली इन संसाधनों का ज़रुरत से ज़्यादा इस्तेमाल होने लग जायेगा।
बुनयादी ढाँचे पर यानी इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव
परिवहन, स्वास्थ्य, आवास,और शिक्षा ये मूल सुविधावों पर इस बढती आबादी का बोझ बढ़ेगा, जिसके के कारण आवास, परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षण सुविधाओं से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर में यानी बुनियादी ढांचे में विस्तार करने की ज़रूरत पड़ेगी और ये सब करने में प्राकृतिक संसाधनों के साथ साथ धन की भी जरुरत होगी।
रोजगार की समस्या, बढ़ सकती है बेरोजगारी
एक बड़ी आबादी को रोजगार देना और ज़रूरतों को पूरा करना एक मुश्किल काम है, बड़ी आबादी की वजह से काम करने की क्षमता रखने वाले लोगों जिनमें की पढ़े लिखे लोग, मजदुर, इन सबकी भी एक बड़ी आबादी खड़ी हो जाती है. इन सभी लोगों को रोज़गार मुहैया करवाना बहोत ही चुनौती भरा होगा।
आज की तारीख़ में भी भारत में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है, पढ़े लिखे लोगों को भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है, और बढती जनसंख्या की वजह से ये समस्या भविष्य में एक विकराल रूप ले सकती है। रोज़गार की कमी के कारण समाज में आर्थिक असमानता और ग़रीबी बढ़ने का खतरा बढ़ेगा और इससे समाज में अशांति फ़ैल सकती है।
सबको शिक्षा देना, कुशल बनाना और फिर उनको रोजगार देना ये सब काफी मुश्किलों से भरा होगा, साथ ही साथ बढ़ती आबादी का बोझ जल, जमीन, जंगल, और प्रकृति पर भी होगा। ये रिपोर्ट भारत के लिए कुछ चिंता, कुछ मौका, कुछ सिख और कुछ उम्मीदें सब लेकर आई है, अब देखना ये होगा की भारत के निति निर्माता इसे किस तरह से समझते हैं और आगे किस तरह की तैयारियां शुरू करते हैं।
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