उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। चुनाव में अब दो साल से भी कम समय बचा है, और इसी के तहत बीएसपी प्रमुख मायावती ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चला हैं।
लखनऊ: 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी प्रमुख मायावती ने दलितों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी जोड़ने के लिए व्यापक अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। इसके तहत ‘भाईचारा कमेटी’ का गठन किया गया है, जो पार्टी के सामाजिक समीकरण को मज़बूत करने के लिए काम करेगी।
ओबीसी वोट बैंक पर फोकस
मंगलवार को आयोजित एक अहम बैठक में बसपा ने ओबीसी वर्ग को संगठन से मजबूती से जोड़ने की रणनीति बनाई। पार्टी नेताओं का मानना है कि सत्ता में वापसी के लिए दलित-ओबीसी गठजोड़ बेहद महत्वपूर्ण होगा। यही वजह है कि बसपा ने अब सामाजिक समीकरण साधने के लिए भाईचारा कमेटी को फिर से सक्रिय करने का फैसला किया हैं।
पहले भी बन चुकी हैं कमेटियां
यह कोई नई रणनीति नहीं है। 2007 में जब बसपा सत्ता में आई थी, तब भी भाईचारा कमेटियां बनाई गई थीं। हालांकि, 2012 में सरकार जाने के बाद ये कमेटियां निष्क्रिय हो गईं। अब पार्टी ने इन कमेटियों को फिर से मजबूत करने का निर्णय लिया है, ताकि ओबीसी वर्ग के साथ दलित और मुस्लिम वोट बैंक को भी पार्टी के साथ जोड़ा जा सके।
‘सत्ता की मास्टर चाबी’ पाने की तैयारी
बसपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी ‘बहुजन समाज के सभी वर्गों को संगठित कर वोटों की ताकत से सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करने’ की तैयारी कर रही है। इसके तहत जमीनी स्तर पर बूथ कमेटियों को सक्रिय किया जाएगा और कांग्रेस, भाजपा व सपा को ‘दलित व पिछड़ा विरोधी’ बताकर जनता को जागरूक किया जाएगा।
14 अप्रैल को होगा बड़ा आयोजन
मायावती ने भाजपा, कांग्रेस और सपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये पार्टियां ओबीसी और दलित समाज के हितों की अनदेखी करती रही हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती को पूरी मिशनरी भावना से मनाने का निर्देश दिया है। इस मौके पर बड़े आयोजन किए जाएंगे, जिनमें दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को बसपा की नीतियों से जोड़ने पर जोर रहेगा।