केरल के पलक्कड़ में हुई आनुसंगिक संगठनों की बैठक के बाद आरएसएस ने स्पष्ट कर दिया था कि वह जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसका उपयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
Caste Census: जातीय जनगणना के तहत पहली बार देश में मुसलमानों की जातियों की गिनती की जाएगी। इसके लिए भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त आवश्यक तैयारियों में जुट गए हैं। इस महीने महाराष्ट्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुसलमानों में जातियों की जनगणना के मुद्दे पर विपक्ष की चुप्पी पर कड़ी टिप्पणी की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों पर आरोप लगाया था कि वे समाज को विभाजित करने के लिए जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहे हैं।
2025 में होगी जाति जनगणना
जनगणना 2025 में हो सकती है प्रधानमंत्री मोदी के बयान को हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों में भी जातियों की जनगणना कराने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनावों के चलते रुकी हुई 2021 की जनगणना अब 2025 में संपन्न हो सकती है।
केंद्र सरकार जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने का कोई निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, विपक्ष द्वारा जातीय जनगणना के लिए बढ़ते दबाव और इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, मोदी सरकार इसे कराने का फैसला कर सकती है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और केंद्र सरकार दोनों ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वे जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं हैं।
भारतीय मुसलमान भी कई जातियों में विभाजित
प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जातीय जनगणना का मुद्दा केवल हिंदुओं को विभाजित करने के लिए उठाया जाता है, जबकि भारतीय मुसलमान भी कई जातियों में बंटे हुए हैं। असम में, हिमंत बिस्व सरमा की भाजपा सरकार ने पहले से ही मुसलमानों की जातीय जनगणना करा चुकी है। ह
र 10 साल में भारत में जनगणना करने वाले महापंजीयक और जनगणना आयुक्त जातीय जनगणना की संभावनाओं के लिए जरूरी तैयारियों में जुट गए हैं। यह भारत की पहली जनगणना होगी, जिसमें सभी आंकड़े डिजिटल रूप से संगृहीत किए जाएंगे। इसके लिए तैयार किए गए पोर्टल में जातीय जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं।
2011 में 86.80 लाख से अधिक जातियों का रिकॉर्ड
यह ध्यान देने योग्य है कि पिछली बार 2011 में जनगणना के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना के आंकड़े भी संकलित किए गए थे। जबकि 1931 में की गई जातीय जनगणना में केवल 4,147 जातियों का उल्लेख था, वहीं 2011 में यह संख्या बढ़कर 86.80 लाख से अधिक हो गई। जातियों में इस अप्रत्याशित वृद्धि और अन्य अनियमितताओं के कारण, पहले मनमोहन सिंह सरकार और फिर मोदी सरकार ने इन आंकड़ों को जारी न करने का निर्णय लिया।