दिल्ली उच्च न्यायालय ने उड्डयन मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह चार सप्ताह के भीतर एयरसेवा पोर्टल की खामियों को दूर करे। यह निर्णय एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ द्वारा लिया गया। न्यायालय ने एयरसेवा पोर्टल से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालय से विस्तृत जानकारी भी मांगी है। आइए जानते हैं इस मामले का पूरा विवरण और न्यायालय की टिप्पणियों के प्रमुख बिंदु।
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उड्डयन मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर एयरसेवा पोर्टल की कमियों को दूर करने का आदेश दिया है। यह निर्देश एक जनहित याचिका के जवाब में दिया गया है, जिसमें हवाई यात्रियों की शिकायतों के निवारण में पोर्टल की विफलता को उजागर किया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यात्रियों को उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्रता से मिलना चाहिए।
अदालत ने त्वरित कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किया
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने मंत्रालय को इन मुद्दों को शीघ्रता से सुलझाने के लिए निर्देशित किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एयरसेवा, जो हवाई यात्रियों की शिकायतों को संभालने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, अब काफी हद तक अनुत्तरदायी हो गई है।
मामले में तात्कालिक सुधारात्मक कदम उठाने की अपील
कोर्ट ने कहा कि इस समस्या के कारण पोर्टल पर यात्रियों के अनसुलझे मुद्दों का एक बड़ा बैकलॉग उत्पन्न हो गया है, जो मुख्य रूप से विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों को प्रभावित कर रहा है।
ये नागरिक यात्रा संबंधी शिकायतों के समाधान के लिए इस प्लेटफॉर्म पर निर्भर करते हैं। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर पिछले एक वर्ष में पोर्टल की कार्यक्षमता में आई गिरावट पर जोर दिया है और मामले में तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है।