हरियाणा में चुनाव से ठीक दो दिन पहले, अशोक तंवर ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका देते हुए कांग्रेस जॉइन कर ली है। यह कदम तब उठाया गया है जब तंवर गुरुवार को एक बजे तक बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे थे। अचानक कांग्रेस का दामन थाम लेने से राजनीतिक माहौल में हलचल मच गई है, और यह कदम बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक चुनौती बन सकता हैं।
महेंद्रगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव से महज दो दिन पहले, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक बड़ा झटका लगा है। इसी साल जनवरी में बीजेपी में शामिल हुए अशोक तंवर ने गुरुवार को राहुल गांधी की रैली में बीजेपी छोड़ दी। इस अवसर पर राहुल गांधी ने मंच पर ही तंवर का पार्टी में स्वागत किया। महेंद्रगढ़ के गांव बवानिया में आयोजित इस रैली में, अशोक तंवर ने कांग्रेस का पटका पहना और जनता से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की।
चुनाव से ठीक पहले उनका यह फैसला हरियाणा की राजनीति में भूचाल मचा देने वाला साबित हुआ है। अशोक तंवर ने 20 जनवरी 2024 को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में बीजेपी जॉइन की थी। हालाँकि, 2024 के भारतीय आम चुनाव में वे सिरसा से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कुमारी शैलजा से 2.50 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हार गए थे।
कांग्रेस कमेटी के रह चुके है पूर्व अध्यक्ष
अशोक तंवर ने बीजेपी में शामिल होने से पहले 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी और फिर 2022 में आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थामा, लेकिन अब वे फिर से अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में लौट आए हैं। अशोक तंवर के कांग्रेस में शामिल होने से चुनाव में कई सीटों पर प्रभाव पड़ेगा, खासकर हरियाणा की हिसार और सिरसा सीटों पर। उनकी वापसी से बीजेपी को इन सीटों पर नुकसान झेलने की आशंका है, क्योंकि तंवर हरियाणा के एक प्रमुख नेता माने जाते हैं।
इसके अलावा तंवर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और वे एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे, जो उनकी राजनीतिक क्षमताओं और प्रभाव को दर्शाता है। तंवर की वापसी से कांग्रेस को भी अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल सकता हैं।
कौन हैं अशोक तंवर?
राजनीति के खिलाड़ी अशोक तंवर का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के चिमनी गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम दिलबाग सिंह और माता का नाम कृष्ण राठी है। अशोक तंवर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद वारंगल के काकतीय विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ आर्ट्स (बी.ए.) की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा और पृष्ठभूमि ने उन्हें राजनीति में एक मजबूत आधार प्रदान किया, जिससे वे विभिन्न राजनीतिक दलों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाने में सफल रहे। तंवर का राजनीतिक करियर कई मोड़ों से गुजर चुका है, जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी शामिल हैं।
अशोक तंवर उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। उनकी राजनीतिक यात्रा 1999 में एनएसयूआई के सचिव बनने से शुरू हुई, और 2003 में वे इसके अध्यक्ष बने। लेकिन उनकी असली पहचान तब बनी जब उन्होंने 2009 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हरियाणा के सिरसा से लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 3,54,999 वोटों के अंतर से हराया, जो उनकी लोकप्रियता का प्रमाण था।
हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में इंडियन नेशनल लोकदल के चरणजीत सिंह रोड़ी से चुनाव हार गए। इस हार ने उनकी राजनीतिक यात्रा में एक नया मोड़ दिया, लेकिन वे फिर भी हरियाणा की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बने रहे।