Jhansi Medical College: झांसी अग्निकांड में हुआ बड़ा खुलासा; सामने आई हादसे की बड़ी वजह, दस मासूम बच्चे जले जिंदा

Jhansi Medical College: झांसी अग्निकांड में हुआ बड़ा खुलासा; सामने आई हादसे की बड़ी वजह, दस मासूम बच्चे जले जिंदा
Last Updated: 2 घंटा पहले

झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग के मामले की शुरुआती जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में यह सामने आया कि जो आग बुझाने वाले सिलिंडर मौजूद थे, वे सभी एक्सपायर थे। इनमें से कुछ सिलिंडर तो चार साल पहले और कुछ दो साल पहले ही अपनी वैधता पूरी कर चुके थे।

झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में शुक्रवार रात लगी भीषण आग ने कई परिवारों को भयंकर दर्द दिया। इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की जलने से मौत हो गई, जबकि 39 नवजातों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के कारण लगी थी। जैसे ही हादसे की सूचना मिली, तड़के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मेडिकल कॉलेज पहुंचे और घटना की जानकारी ली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत नवजातों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की हैं।

हादसे की शुरुआती जांच में हुआ बड़ा खुलासा 

झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग के बाद हुई शुरुआती जांच में एक गंभीर खुलासा हुआ है कि आग बुझाने वाले सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे। ये सिलिंडर आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हुए, जिससे हादसे की स्थिति और बिगड़ गई। फायर इंस्टीग्यूशर पर जांच करने पर यह पता चला कि कई सिलिंडर तो दो साल पहले, जबकि कुछ एक साल पहले ही अपनी उम्र पूरी कर चुके थे। एक सिलिंडर पर 2019 की फिलिंग डेट और एक्सपायरी डेट 2020 की दर्ज थी, यानी सिलिंडर को एक्सपायर हुए कई साल हो चुके थे। यह सिलिंडर केवल दिखावे के लिए रखे गए थे, और इन्हें किसी भी आपातकालीन स्थिति में काम करने के लिए तैयार नहीं रखा गया था।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए बताया कि फरवरी 2024 में मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी की व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई थी, और जून में एक ट्रायल भी किया गया था। हालांकि, इसके बावजूद शुक्रवार रात एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में आग लगने के कारण 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। बृजेश पाठक ने यह भी खुलासा किया कि आग बुझाने के लिए लगाए गए फायर इंस्टीग्यूशर एक्सपायर हो चुके थे।

नहीं बजे सेफ्टी अलार्म 

झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई भयावह आग की घटना में नवजात शिशुओं के गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में आग से बचाव के लिए लगाए गए सेफ्टी अलार्म ने सही समय पर काम नहीं किया, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब धुआं फैलने लगा, तो चारों ओर चीख-पुकार मच गई, लेकिन सेफ्टी अलार्म नहीं बजा, जिससे आग लगने के बाद तुरंत बचाव कार्य की शुरुआत नहीं हो पाई। यदि अलार्म सही समय पर बजा होता, तो बचाव कार्य जल्दी शुरू हो सकता था।

आग ने देखते ही देखते पूरी यूनिट में फैलकर दरवाजे तक पहुंच गई, जिससे अंदर जाने का रास्ता बंद हो गया। दमकलकर्मियों ने पीछे के रास्ते से अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे। अंततः, उन्होंने खिड़की के कांच तोड़कर अंदर पहुंचने की कोशिश की। आग की लपटों और धुएं से कमरे में घुसना मुश्किल था। करीब आधे घंटे बाद बचाव कार्य शुरू हो सका।

यह राहत की बात रही कि एसएनसीयू का वार्ड ग्राउंड फ्लोर पर था, जिससे नवजात शिशुओं को बाहर निकाला जा सका। अगर हादसा दूसरी मंजिल पर हुआ होता, तो बचाव कार्य और भी जटिल हो सकता था। एसएनसीयू में दो यूनिट्स थीं – एक अंदर और एक बाहर की तरफ। सबसे पहले बाहरी यूनिट में भर्ती नवजातों को बाहर निकाला गया, लेकिन अंदर की यूनिट में मौजूद नवजात काफी झुलस गए और उन्हें बचाया नहीं जा सका। 

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