J&K Election 2024: क्या कश्मीर घाटी में खिलेगा BJP का कमल? क्या कहते हैं भाजपा नेता? एक नजर डालिए पुराने समीकरण पर

J&K Election 2024: क्या कश्मीर घाटी में खिलेगा BJP का कमल? क्या कहते हैं भाजपा नेता? एक नजर डालिए पुराने समीकरण पर
Last Updated: 06 सितंबर 2024

जम्मू एवं कश्मीर में इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन चुनावों के नतीजे यह स्पष्ट करेंगे कि अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद घाटी के लोगों का समर्थन बीजेपी को मिला है या नहीं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित किया गया।

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। 10 साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहे इन चुनावों में परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश है और अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह पहला चुनाव है, जिससे इसका राजनीतिक परिदृश्य और अधिक जटिल हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इन चुनावों में पूरी ताकत झोंक दी है, क्योंकि यह चुनाव अनुच्छेद 370 हटाने के बाद उसके निर्णय पर जनता की मुहर लगाने का अवसर हैं।

बीजेपी घाटी में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जो हमेशा से पारंपरिक रूप से क्षेत्रीय दलों का गढ़ रहा है। हालांकि जम्मू क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ मजबूत मानी जाती है, लेकिन घाटी में पार्टी को अब तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। सियासी पंडितों के बीच इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या इस बार बीजेपी घाटी में अपनी पैठ बना पाएगी? बीजेपी ने अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद क्षेत्र में विकास, सुरक्षा, और रोजगार के अवसरों पर जोर दिया है और अब देखना यह है कि घाटी के लोग इस बदलाव को किस रूप में स्वीकारते हैं।

क्या घाटी में खिलेगा भाजपा का कमल?

जम्मू-कश्मीर में चुनावों का इतिहास देखें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जम्मू क्षेत्र में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन कश्मीर घाटी में उसकी सियासी सफलता सीमित रही है। घाटी के लोगों की लंबे समय तक क्षेत्रीय दलों जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के साथ राजनीतिक निष्ठाएं रही हैं। लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने और हाल के बदलावों के बाद, घाटी में एक नया माहौल बनता दिख रहा है। लाल चौक, जो कभी अलगाववादी गतिविधियों और पत्थरबाजी का केंद्र था, अब सैलानियों से भरा रहने वाला इलाका बन गया है। यहां तिरंगा लहराना कभी जान जोखिम में डालने जैसा था, लेकिन अब यहां कई मौकों पर लोग राष्ट्रध्वज लहराते देखे जाते हैं। घाटी में स्थिरता और शांति बहाल होते देख लोग इसे विकास और सुरक्षा के नए दौर के रूप में देख रहे हैं।

हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि बीजेपी घाटी में बड़ी चुनावी जीत हासिल कर पाएगी, लेकिन यह साफ है कि हालिया सुधारों और शांति के माहौल से लोग खुश नजर रहे हैं। इस परिवर्तन ने बीजेपी को घाटी में सकारात्मक छवि बनाने का अवसर दिया है। अगर घाटी के लोग विकास और स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं, तो बीजेपी के प्रति समर्थन में इजाफा हो सकता है, भले ही चुनावी सफलता अभी दूर की बात हो।

क्या कहते हैं भारतीय जनता पार्टी के नेता?

बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए लाल चौक और ईदगाह जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर इंजीनियर एजाज हुसैन और आरिफ राजा को उम्मीदवार बनाया है। ये दोनों उम्मीदवार अनुच्छेद 370 के हटने के बाद घाटी में आई शांति और विकास को अपने चुनाव प्रचार का प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं।मीडिया से बात करते हुए इंजीनियर एजाज हुसैन ने कहा कि लाल चौक, जो कश्मीर में एक प्रतीकात्मक और संवेदनशील स्थान रहा है, अब शांति और विकास का प्रतीक बन रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्षों पहले लाल चौक पर तिरंगा फहराया था और अब उम्मीद है कि यहां बीजेपी का भी झंडा लहराएगा।

आरिफ राजा ने कहा कि आर्टिकल 370 के हटने के बाद कश्मीर में हालात काफी बेहतर हुए हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि हाल ही में राहुल गांधी ने लाल चौक पर बिना किसी डर के रात 12 बजे आइसक्रीम खाई, जो कि पहले घाटी में संभव नहीं होता था। यह बयान बीजेपी के उन प्रयासों को दर्शाता है, जिसमें पार्टी अनुच्छेद 370 के हटने के बाद घाटी में आई स्थिरता और विकास को अपने चुनावी एजेंडे का हिस्सा बना रही है। दोनों उम्मीदवार घाटी के लोगों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि कश्मीर में स्थिति बेहतर हो रही है और बीजेपी ही विकास और स्थिरता की नई राह को आगे बढ़ा सकती हैं।

क्या कहते है भाजपा के पुराने समीकरण?

बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में धीरे-धीरे अपनी पैठ मजबूत की है, और इसके पिछले चुनावी प्रदर्शन इस बात का प्रमाण हैं। 2002 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने केवल एक सीट जीती थी और उसे 8.57% वोट मिले थे। 2008 के चुनावों में पार्टी ने अपना प्रदर्शन सुधारा, 11 सीटों पर जीत हासिल की और 12.45% वोट शेयर पर कब्जा जमाया। 2014 के चुनावों में बीजेपी ने बड़ा छलांग लगाते हुए 25 सीटों पर जीत दर्ज की और 22.98% वोट हासिल किए। इस चुनावी सफलता के बाद, बीजेपी ने पहली बार पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई, जो राज्य की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन था। यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की सरकार में भागीदारी को चिह्नित करने वाला पहला मौका था।

हालांकि, 2018 में पीडीपी से समर्थन वापस लेने और इसके बाद अनुच्छेद 370 के खात्मे जैसे बड़े फैसलों ने बीजेपी की स्थिति को और मजबूत किया। ये फैसले बीजेपी के कड़े रुख और विकास के एजेंडे को दर्शाते हैं, जिससे पार्टी की मौजूदगी सूबे में बढ़ी हुई नजर आती है। अब आगामी चुनावों में बीजेपी की कोशिश घाटी में भी अपना प्रभाव बढ़ाने की है, जहां पार्टी की अब तक की उपस्थिति सीमित रही हैं।

 

 

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