कर्नाटक में मुख्यमंत्री श्री सिद्दरमैया पर लग रहे भूमि आवंटन घोटाले के आरोपों ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच के लिए इस्तीफा देने की मांग की है। यह विवाद तब उठ खड़ा हुआ जब राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत ने भूमि आवंटन घोटाले (MUDA scam) में सिद्दरमैया के खिलाफ कार्रवाई के लिए हरी झंडी दिखाई थी।
बेंगलुरु: मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया पर घोटाले के आरोप लगने के बाद कर्नाटक की राजनीति में हलचल मच गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सीएम से इस्तीफे की मांग कर दी है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत ने भूमि आवंटन घोटाले (MUDA scam) के मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हरी झंडी दिखा दी थी।
बता दें मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत पर केंद्र सरकार के लिए कार्य करने का आरोप लगाया है। चलिए जानते हैं कि कर्नाटक की राजनीति में आखिरकार यह गर्मागर्मी क्यों बनी हुई है...
1. राज्यपाल गहलोत द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में 'भूमि आवंटन घोटाले' के संबंध में सिद्धारमैया के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए जांच एजेंसियों का रास्ता खुल गया हैं।
2. आरोप लगने के बाद भाजपा ने आक्रामक रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग की हैं।
3. कांग्रेस सरकार को कर्नाटक की सत्ता में आए मात्र 15 महीने हुए हैं और इन आरोपों से बाहर निकलना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली हैं।
4. सिद्धारमैया ने भी इस मामले में अपने अधिकारों का बचाव करते हुए संकेत दिए हैं कि वे एक लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा से कई सवाल पूछे, जहां उन्होंने कहा कि भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए?
5. उन्होंने कहा, "मैंने क्या अपराध किया है?" सिद्धारमैया ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मेरे स्थान पर राज्यपाल को इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि वे केंद्र की मोदी सरकार के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं।
6. मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक उच्च आर्थिक क्षेत्र में मुआवज़े के रूप में भूमि आवंटित की गई थी। यह भूमि उनकी स्वामित्व वाली जमीन की तुलना में अधिक मूल्यवान बताई जा रही है, जिसे MUDA द्वारा 'अधिग्रहित' किया गया था। भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि यह घोटाला 4 हजार करोड़ रुपये का हैं।
7. उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्यपाल के कदम को 'असंवैधानिक' करार दिया और कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी तथा राज्य सरकार सिद्धारमैया के साथ खड़ी हैं।
8. बेंगलुरु में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को हटाने की मांग करते हुए एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के उनके पुतले जलाए और 'राज्यपाल हटाओ, राज्य बचाओ' के नारे भी लगाए।
9. राज्यपाल ने कहा कि निष्पक्ष जांच के लिए उनका आदेश आवश्यक था और वे यह मानते हैं कि प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर घोटाले की संभावना हैं।
10. गहलोत ने मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए उस निर्णय को भी गलत ठहराया, जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को वापस लेने और अभियोजन स्वीकृति के आवेदन को खारिज करने की सलाह दी गई थी।