Kolkata: कोलकाता रेप केस में नया खुलासा, आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी Doctor's को दी रेप की धमकी, भीड़ ने घुसकर की तोड़फोड़

Kolkata: कोलकाता रेप केस में नया खुलासा, आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी Doctor's को दी रेप की धमकी, भीड़ ने घुसकर की तोड़फोड़
Last Updated: 24 अगस्त 2024

15 अगस्त की रात, मेडकल कॉलेज में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की गई तोड़फोड़ केवल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड तक सीमित नहीं रही। उस दिन इन अज्ञात लोगों ने अस्पताल के गर्ल्स हॉस्टल में भी हुड़दंग मचाया। आरोप है कि उन्होंने हॉस्टल में रह रही महिला रेजिडेंट डॉक्टरों को डराने-धमकाने के साथ-साथ बलात्कार की धमकी भी दी।

Kolkata: कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत के बाद से पूरे विश्व में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। सीबीआई (BCI) जांच भी तेजी से आगे बढ़ रही है। बताया जा रहा है कि इस मामले में नए-नए खुलासे सामने रहे हैं। इसी बीच, यह देखा जा रहा है कि इस जघन्य अपराध के बाद अगले दिन आरजी मेडिकल कॉलेज में हुई तोड़फोड़ की घटना के कारण अधिकांश महिला डॉक्टरों ने हॉस्टल छोड़ दिया है। सामान लेकर या तो अपने घर चली गई हैं या फिर किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट हो गई हैं।

रेजिडेंट डॉक्टरों को डराया गया

15 अगस्त की दरमियानी रात को मेडीकल कॉलेज में अज्ञात लोगों ने जो तोड़फोड़ की थी, वह केवल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड तक सीमित नहीं रही। उस दिन इन अज्ञात व्यक्तियों ने अस्पताल के गर्ल्स हॉस्टल में भी पहुंचकर हुड़दंग मचाया। आरोप है कि इन्होंने हॉस्टल में रहने वाली महिला रेजिडेंट डॉक्टरों को डराया-धमकाया और रेप की धमकी दी। इसके परिणामस्वरूप, हॉस्टल में रहने वाली अधिकांश लेडी डॉक्टरें इस डर के कारण हॉस्टल छोड़कर चली गईं। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब अस्पताल और हॉस्टल के बाहर सीआईएसएफ की तैनाती कर दी गई है।

बलात्कार की दी धमकी

एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि उस दिन अस्पताल पर भीड़ ने हमला कर दिया था। उनका मुख्य निशाना हॉस्टल था, और उन्होंने नर्सिंग हॉस्टल में जाकर हमारे नर्सिंग स्टाफ को बलात्कार की धमकियां दी थीं। इसके बाद, हॉस्टल में रहने वाले सभी लोग डर गए थे और अगली सुबह अपने-अपने घर चले गए। वर्तमान स्थिति में, बहुत कम महिलाएं इस कैंपस में बची हैं। महिला डॉक्टरों को ड्यूटी (Duty) करने के लिए हॉस्टल और कैंपस में वापस लौटना होगा।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमसे यह कह रहा है कि हमें ड्यूटी पर वापस लौटना चाहिए। लेकिन हम कैसे लौटें, यहां कोई भी नहीं बचा है। सभी लोग डर के कारण अपने घर चले गए हैं। उनके माता-पिता भी भयभीत हैं। इस कारण हमारे पास काम करने वाली शक्ति नहीं है। भले ही सीआईएसएफ सुरक्षा के लिए तैनात हो गई है, लेकिन इसके बावजूद हमें यह महसूस नहीं हो रहा है कि हम यहां सुरक्षित माहौल में काम कर सकें।

डॉक्टरों ने कैसे बचाई अपनी जान

हमले की खौफनाक रात को याद करते हुए रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि, उस दिन हम सभी टॉयलेट और बेड के नीचे छिप गए थे। जहां भी जगह मिल रही थी, वहां जाकर लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे। सारी रात हम डर के कारण सो नहीं पाए और बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके। हमने अपने परिजनों को फोन किया और उनका इंतजार कर रहे थे, ताकि वे हमें सुरक्षित यहां से ले जा सकें। अगले दिन सभी लोग अपने-अपने घर लौट गए। अब यहां का माहौल बेहद भयावह है। हमें डर सता रहा है कि फिर से गुंडों का हमला हो सकता है और दूसरी चिंता यह है कि जो घटना हुई है, वह हमारे साथ भी हो सकती है। ऐसे में हमें सुरक्षा का भरोसा कौन देगा?

‘’मॉब अटैक हुआ था ‘’

हॉस्टल में रहने वाली फाइनल ईयर की छात्रा ने कहा, "बहुत से लोग हॉस्टल से अपने घर चले गए हैं। मैं भी अपने घर चली गई थी, और अब वापस आई हूँ। उस रात (14 अगस्त) हमारी एक रैली थी, और हम सभी उसके लिए तैयार थे। लेकिन जब हम बाहर निकले, तो सड़कों पर ट्रैफिक जाम था। हमारे सीनियर्स ने सुझाव दिया कि हम रैली अस्पताल के परिसर में ही करें। जब हम रैली कर रहे थे, तभी कुछ सीनियर्स आए और बताया कि मॉब अटैक हुआ है, इसलिए हमें हॉस्टल वापस जाना चाहिए। हम सभी बहुत डर गए थे; वह रात वाकई बहुत डरावनी थी। अगले दिन, असुरक्षित महसूस करने के कारण हम सभी अपने-अपने घर चले गए। यहां पुलिस मौजूद थी, लेकिन वे कुछ नहीं कर रहे थे।"

डॉक्टर्स और छात्र वापस अपने घर लौटे

छात्र ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले लगभग 80 प्रतिशत छात्र और डॉक्टर अपने-अपने घर लौट चुके हैं। हालांकि सीआईएसएफ को तैनात किया गया है, लेकिन फिर भी सुरक्षा का भरोसा नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यह भी स्पष्ट नहीं है कि सीआईएसएफ यहां कितने दिनों तक रहेगी। हम चाहते हैं कि यहां सीसीटीवी प्रभावी ढंग से काम करें, और जहां सीसीटीवी नहीं लगे हैं, वहां भी उनकी स्थापना की जाए। हॉस्टल में भी हर मंजिल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। अस्पताल की सुरक्षा के लिए 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होनी चाहिए। हम चाहते हैं कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।

भीड़ ने अस्पताल में की तोड़फोड़

14 अगस्त को लेफ्ट संगठनों ने रात 12 बजे एकत्र होकर प्रदर्शन करने का आह्वान किया था। इसी संदर्भ में कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे थे। अचानक, अज्ञात लोगों ने बैरिकेड्स को तोड़ दिया। जो पुलिसकर्मी बैरिकेड्स के पास खड़े थे, उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए अस्पताल में शरण ली। गुस्साई भीड़ ने प्रदर्शन स्थल पर उपद्रव शुरू कर दिया। इस स्थल पर मेडिकल कॉलेज के अंदर एक शिविर लगा था, जहां छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। उस स्थान को भी भीड़ ने निशाना बनाया। इमरजेंसी वार्ड के भीतर शायद ही कुछ सुरक्षित बचा हो। खिड़कियों, बिस्तरों और सभी चिकित्सा उपकरणों को बुरी तरह नष्ट कर दिया गया। यहां तक कि अस्पताल के अंदर बने पुलिस बैरक को भी भीड़ ने ध्वस्त कर दिया।

अस्पताल के बाहर पहले इंसाफ की मांग को लेकर नारे लगाए गए, और फिर देखते ही देखते हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। जिस इमारत के हर कोने में वारदात के सबूत छिपे हुए थे, उसे देर रात पूरी तरह तबाह कर दिया गया। पुलिस ने उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

 

 

 

Leave a comment