महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अब 10 दिन से भी कम समय बचा है। सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। रविवार को भाजपा और महाविकास अघाड़ी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया। कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने महाराष्ट्र के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने यह दावा किया कि विपक्षी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत प्राप्त होगा और सरकार का गठन होगा।
मुंबई: विजय वडेट्टीवार महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रमुख नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्यरत हैं। विदर्भ क्षेत्र से आने वाले वडेट्टीवार प्रदेश कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकारों में से एक माने जाते हैं। यहां प्रस्तुत है विधानसभा चुनावों को लेकर मुंबई ब्यूरो प्रमुख ओमप्रकाश तिवारी की उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश...
विधानसभा चुनाव में कौन से मुद्दे प्रभाव डालेंगे?
जमीनी स्तर पर लोगों की भावना पूरी तरह स्पष्ट है। लोग इस भ्रष्ट सरकार से परेशान हो चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों में महायुति सरकार के तहत समाज के हर वर्ग को नुकसान उठाना पड़ा है। वे हर क्षेत्र में असफल रहे हैं। महाराष्ट्र से निवेश तेजी से बाहर चला गया है। पिछले एक दशक में पहली बार, महाराष्ट्र का जीडीपी में योगदान 2010-11 के 15.2% से घटकर 2020-21 में 13% हो गया है। युवाओं के लिए रोजगार की कमी है। कानून-व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई है।
महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। किसान संकट में हैं। इसके अलावा, उन्होंने राज्य के सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुँचाने की कोशिश की है। दूसरी ओर, महाविकास आघाड़ी लगातार सभी समुदायों तक अपनी पहुंच बना रही है। हमारी पांच गारंटी का उद्देश्य राज्य के लोगों को सामने आने वाली कठिनाइयों से छुटकारा दिलाना है। राहुल जी का समान प्रतिनिधित्व, जाति जनगणना, और आरक्षण की 50% सीमा बढ़ाने का संदेश लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा है।
मविआ को 180-185 सीटों का भरोसा
महाविकास आघाड़ी (MVA) के नेता विजय वडेट्टीवार ने राज्य चुनावों में मविआ के बहुमत जीतने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि विदर्भ में पार्टी को 45 सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को 43 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद, मविआ को यहां 35 सीटें जीतने का पूरा भरोसा है। वडेट्टीवार ने कहा कि मविआ को कुल मिलाकर 180-185 सीटें मिलेंगी और पार्टी स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।
विदर्भ में प्रमुख चुनावी मुद्दे: क्या कपास और सोयाबीन की कीमतें बनेंगी मुख्य मुद्दा?
विदर्भ क्षेत्र में कृषि संकट गहरा चुका है, जहाँ पिछले कुछ वर्षों में महायुति सरकार की नीतियों के कारण किसानों की हालत और भी खराब हो गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2024 के बीच 1933 किसानों ने आत्महत्या की है, जो क्षेत्र में बढ़ते संकट को दर्शाता है। इसके अलावा, सरकार कपास और सोयाबीन की गारंटीकृत कीमतें भी नहीं प्रदान कर पाई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई किसान कर्ज़ चुकाने में असमर्थ हैं, और विपक्ष का कहना है कि इस संकट को हल करने के लिए सही मूल्य और ऋण माफी की ज़रूरत है।
आरक्षण और जाति जनगणना
आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है, खासकर ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों के अधिकारों के संदर्भ में। कांग्रेस और राहुल गांधी लंबे समय से जाति जनगणना के पक्ष में रहे हैं, उनका कहना है कि इससे हर समुदाय को समान प्रतिनिधित्व मिल सकेगा।
कांग्रेस ने तेलंगाना में जाति जनगणना को हकीकत में बदलने की दिशा में कदम उठाए हैं, और महाराष्ट्र में भी सरकार बनाने के बाद यही योजना लागू करने की योजना है। इसके अलावा, पार्टी ने आरक्षण की 50% सीमा बढ़ाने का वादा किया है, जो उनके घोषणापत्र का हिस्सा है। राहुल गांधी ने नागपुर में अपने संबोधन में इसे फिर से दोहराया, जिसे लेकर जनता का उत्साह स्पष्ट दिखा।
कांग्रेस का साफ रुख
कांग्रेस ने इस चुनाव में बागी उम्मीदवारों के बजाय समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट देने का फैसला लिया है। पार्टी का कहना है कि उम्मीदवारों का चयन पूरी तरह से योग्यता के आधार पर किया गया है और उन्हें विश्वास है कि मतदाता इन उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। जबकि महायुति निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन कर रही है, कांग्रेस ने बागियों को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। बावजूद इसके, कांग्रेस को विश्वास है कि महाविकास आघाड़ी (मविआ) इस चुनाव में स्पष्ट बहुमत से जीत हासिल करेगी।
महाविकास आघाड़ी में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर स्पष्टता
महाविकास आघाड़ी (मविआ) के नेता ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर बयान देते हुए कहा कि फिलहाल मुख्यमंत्री पद हमारे लिए प्राथमिकता नहीं है। यह फैसला मविआ के सभी दलों द्वारा सामूहिक रूप से चुनाव के बाद लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उनका मुख्य ध्यान राज्य का विकास और सरकार बनाने पर है, क्योंकि महायुति सरकार के कुप्रबंधन के कारण पिछले 10 साल राज्य के लिए खो गए हैं। राज्य के विकास को सबसे बड़ी प्राथमिकता देते हुए, मविआ ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को चुनाव बाद की बात बताया।