मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार होने के बाद राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सरकार पर अपमान का आरोप लगाया, जबकि भाजपा ने नरसिम्हा राव के समय को याद दिलाया।
Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 28 दिसंबर को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद राजनीति गर्मा गई। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार ने मनमोहन सिंह का अपमान किया है। राहुल गांधी ने कहा कि सिख समाज के पहले प्रधानमंत्री का अपमान किया गया, क्योंकि उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया गया। अरविंद केजरीवाल ने भी सवाल उठाया कि भाजपा ने उनके स्मारक के लिए जमीन नहीं दी।
भाजपा का पलटवार और नरसिम्हा राव की याद
भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि वह मनमोहन सिंह के निधन पर भी राजनीति कर रही है। भाजपा ने कांग्रेस को पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय की याद दिलाई, जब उनके निधन के बाद कांग्रेस ने दिल्ली में कोई स्मारक नहीं बनवाया और उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पड़ा रहा। भाजपा ने कहा कि नरसिम्हा राव को सम्मान देने का काम उनकी सरकार ने किया, जब 2015 में पीएम मोदी ने उनका स्मारक बनवाया और 2024 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।
कांग्रेस की मांग: मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए भूमि का चयन
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी से पत्र लिखकर मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने की मांग की थी। प्रियंका गांधी ने सुझाव दिया कि उनका स्मारक इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के स्मारकों के पास बनाया जाए। गृह मंत्रालय ने जवाब दिया कि निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया है और स्मारक के लिए उचित स्थान का चयन किया जाएगा।
भाजपा का तर्क: कांग्रेस ने कभी मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं किया
भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने कभी मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं किया। भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस ने पीएम रहते हुए मनमोहन सिंह को केवल नाममात्र की कुर्सी दी, लेकिन पावर नहीं दी। पूर्व मंत्री नटवर सिंह ने भी अपनी आत्मकथा में इस बात का उल्लेख किया था कि पीएमओ की फाइलें रोजाना सोनिया गांधी के पास जाती थीं।
पूर्व पीएम की समाधि स्थल का प्रोटोकॉल
पूर्व पीएम की समाधि स्थल बनाने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन देश में कुछ दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ही तय करती है। पूर्व पीएम और अन्य ऐतिहासिक योगदान वाले नेताओं के लिए समाधि बनाना और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भारत सरकार की होती है। भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री और अन्य ऐतिहासिक योगदान देने वाले नेताओं के समाधि स्थल बनाए जाते हैं।
समाधि स्थल बनाने के पीछे का कारण
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 1992 में देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और कई ऐतिहासिक फैसले किए, ऐसे में उनका स्मारक बनाना तय है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह, जिनकी समाधि बनी, मनमोहन सिंह की समाधि भी बनाए जाने की उम्मीद है।