कर्नाटक की एक एमपी/एमएलए अदालत ने बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ मुडा घोटाले की जांच का आदेश दिया है। अदालत ने मैसूर के लोकायुक्त को तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया। जांच अधिकारी को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पूछताछ करने और उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है। इस मामले में मुख्यमंत्री को उच्च न्यायालय से भी झटका मिल चुका है।
Bengaluru: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को बुधवार को हाईकोर्ट के बाद एमपी/एमएलए कोर्ट से भी एक बड़ा झटका लगा है। विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में सीएम सिद्धरमैया के खिलाफ लोकायुक्त जांच की अनुमति दी है। न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने इस मामले की जांच मैसूर जिले के लोकायुक्त अधीक्षक को सौंपी है। उन्हें तीन महीने, अर्थात् 24 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी।
याचिका के बाद होगी जांच
अधिकारी को सीएम से पूछताछ करने और उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त होगा। अदालत ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की जांच सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत की जाएगी। सीएम सिद्दरमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने विशेष अदालत में मुडा घोटाले से संबंधित एक शिकायत प्रस्तुत की थी।
हाईकोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को बनाए रखा
याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के समक्ष मुडा घोटाले का मामला उठाया था। राज्यपाल ने सीएम के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति दी थी। हालांकि, 19 अगस्त को सीएम सिद्दरमैया ने राज्यपाल के आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को बनाए रखा।
जांच से घबराना नहीं चाहिए
स्नेहमयी कृष्णा के वकील लक्ष्मी अयंगर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। मैसूर लोकायुक्त को एफआईआर दर्ज करने और जांच को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को इस जांच में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।