Mumbai: बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में मकोका एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई, 26 आरोपियों पर लगाया गया आरोप

Mumbai: बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में मकोका एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई, 26 आरोपियों पर लगाया गया आरोप
Last Updated: 30 नवंबर 2024

मुंबई क्राइम ब्रांच ने बाबा सिद्दीकी हत्या मामले में 26 आरोपियों के खिलाफ मकोका लगाया है। इनमें मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम सहित 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जो देशभर से पकड़े गए हैं।

Baba Siddique Murder Case: मुंबई क्राइम ब्रांच ने एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में मकोका (Maharashtra Control of Organized Crime Act) लागू कर दिया है। अब तक इस मामले में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम भी शामिल हैं। मकोका के तहत आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, और यह प्रावधान उन्हें अदालत में आसानी से दोषी साबित करने के लिए कारगर साबित हो सकता है। मकोका के तहत पुलिस द्वारा लिए गए बयान अब अदालत में सीधे प्रमाण के रूप में पेश किए जाएंगे, जिससे आरोपियों को बचाव की कोई गुंजाइश नहीं होगी।

मकोका के तहत कड़ी कार्रवाई

मकोका के तहत आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन तक हो सकती है, जबकि सामान्य आईपीसी के तहत यह अवधि 15 दिन होती है। इसका मतलब है कि आरोपियों को लंबी समयावधि तक पुलिस रिमांड में रखा जा सकता है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ेगा। इस कानून के तहत जमानत मिलना भी काफी कठिन है, क्योंकि मकोका के प्रावधान आरोपी के खिलाफ हर कदम को कानूनी रूप से मजबूत बनाते हैं। यह व्यवस्था संगठित अपराधियों और अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए बनाई गई थी।

हत्या की घटना और साजिश

बाबा सिद्दीकी की हत्या 12 अक्टूबर को मुंबई के बांद्रा क्षेत्र में उनके बेटे जीशान सिद्दीकी के कार्यालय के बाहर हुई थी। तीन हमलावरों ने सिद्दीकी पर गोलियां चलाईं, जिसमें दो गोलियां उनके सीने में लगीं और उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की और अब तक कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल को भी गिरफ्तार किया गया था, जिनका नाम इस हत्या में सामने आया था।

क्या है मकोका कानून?

मकोका कानून का मुख्य उद्देश्य संगठित अपराध और अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है। यह कानून 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने लागू किया था, और इसे बाद में दिल्ली में भी लागू किया गया। मकोका के तहत आरोपी की गिरफ्तारी और पूछताछ में पुलिस को अधिक अधिकार मिलते हैं, जिससे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। मकोका के तहत अभियुक्तों को जमानत मिलना मुश्किल होता है, जिससे पुलिस को जांच में मदद मिलती है।

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