एनसीपी (एससीपी) सांसद सुप्रिया सुले ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर चुनावी बॉन्ड के जरिए कथित तौर पर पैसे ऐंठने के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है। सुले ने कहा कि उनके लिए यह बहुत दर्दनाक और चौंकाने वाला है क्योंकि निर्मला एक बहुत अच्छी महिला हैं।
Karnatak: बेंगलुरु की एक अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन संग्रह करने के आरोपों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सुले ने स्पष्ट किया है कि सरकार से इस मामले में सीधे सवाल पूछे जाएंगे।
सुले एएनआई से बात करते हुए, सुले ने कहा कि यह मेरे लिए अत्यंत दुखद और चौंकाने वाला पल है क्योंकि निर्मला एक बहुत ही अच्छी महिला हैं, जिनके साथ हमने निकटता से काम किया है। मुझे आशा है कि यह सच नहीं है। जब नवंबर में संसद का सत्र शुरू होगा, तो हम सरकार से प्रश्न पूछेंगे।
सुप्रिया सुले का बयान
एक मज़बूत और ईमानदार महिला सुप्रिया सुले ने हाल ही में निर्मला सीतारमण पर लग रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्हें एक मज़बूत और ईमानदार महिला के रूप में देखा है, जो देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। सुले ने इन आरोपों को 'निराशाजनक' बताया। सुले ने कहा, "मैंने निर्मला सीतारमण को एक बहुत मज़बूत और ईमानदार महिला के रूप में देखा है। वह इस देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही हैं और ये आरोप निराशाजनक हैं।"
महाराष्ट्र चुनाव पर सुले का बयान
सुले ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर अपना बयान साझा किया। उन्होंने कहा कि एमवीए में सीट शेयरिंग को लेकर अधिक स्पष्टता लाने के लिए बैठकें आयोजित की जा रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगले तीन-चार दिनों में अधिक स्पष्टता प्राप्त होगी। फिलहाल, मैं सीटों का दावा नहीं कर रही हूं।
सीतारमण पर प्रियांक खरगे की तीखी टिप्पणी
रविवार को कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सीतारमण ने बिल की 'संरचना' को लेकर सही जानकारी नहीं दी। एएनआई से बातचीत करते हुए प्रियांक खरगे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि चुनावी बॉंड अवैध और असंवैधानिक हैं।
इसके अलावा, कर्नाटक में भी इस मुद्दे को उठाया गया है। कई उदाहरण सामने आए हैं जहां कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें मजबूर किया गया, और इस संदर्भ में वित्त मंत्री का सीधा हाथ है, जैसा कि शिकायत में उल्लेखित है। अदालत ने इस शिकायत को सही ठहराया है।