जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर विशेष सत्र बुलाया गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस सत्र के दौरान हमले की कड़ी निंदा करते हुए भावुक भाषण दिया। उन्होंने नम आंखों से कहा कि कश्मीर ने लंबे समय बाद इस तरह का दर्दनाक मंजर देखा है।
Omar Abdullah Speech: जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने एक स्वर में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। विशेष सत्र के दौरान निंदा प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें इस माहौल पर विश्वास नहीं हो रहा है। उमर अब्दुल्ला ने भावुक अंदाज में कहा, कुछ दिन पहले हम इसी हाउस में थे, बजट और कई अहम मुद्दों पर बहस हो रही थी। अंतिम दिन हम चाय पी रहे थे और सोच रहे थे कि अगला सत्र कश्मीर में होगा। तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि हमें इस तरह के दुखद माहौल में फिर मिलना पड़ेगा।
'कोई कश्मीरी ऐसा हमला नहीं चाहता' - उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि यह हमला सिर्फ जम्मू-कश्मीर या पहलगाम का दर्द नहीं है, बल्कि पूरे भारत का जख्म है। उन्होंने कहा, कोई भी कश्मीरी ऐसा खौफनाक मंजर नहीं चाहता। 21 साल के बाद इस तरह का भयावह हमला हुआ है, जिसने हमें अंदर तक झकझोर दिया है। मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि हर पर्यटक सुरक्षित अपने घर लौटे, लेकिन इस कर्तव्य में चूक हो गई।
विधानसभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने इस आतंकी हमले की एक स्वर में निंदा की। उमर अब्दुल्ला ने इस पर कहा, “यह विशेष सत्र इसलिए बुलाया गया क्योंकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा ही उन जख्मों को सबसे बेहतर तरीके से समझ सकती है, जो इस हमले ने दिए हैं। बाहर के राज्यों या संसद में बैठे लोगों के लिए यह दर्द दूर से महसूस करना आसान नहीं है, लेकिन यहां बैठे कई सदस्य खुद हिंसा के शिकार रहे हैं।”
अपने संबोधन में हुए भावुक
अपने भाषण के दौरान उमर अब्दुल्ला कई बार भावुक हो गए। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री होने के नाते, हमने पूरे देश से पर्यटकों को कश्मीर आने का न्योता दिया था। मेहमानों की सुरक्षा मेरी पहली जिम्मेदारी थी, लेकिन आज शर्म से सिर झुकाने के अलावा मेरे पास कुछ नहीं है। उन्होंने घटना के बाद मिले दर्दनाक अनुभव साझा करते हुए कहा, उन छोटे बच्चों को क्या जवाब देता, जिन्होंने अपने पिता को खून में लथपथ देखा? उस नेवी अफसर की पत्नी को क्या दिलासा देता, जिसकी शादी को चंद दिन ही हुए थे?
'पूरे देश ने इस हमले का दर्द महसूस किया' - CM
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह हमला एक क्षेत्रीय घटना नहीं थी। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत ने इस दर्द को महसूस किया। उन्होंने याद दिलाया कि अतीत में भी अमरनाथ यात्रा, डोडा, कश्मीरी पंडितों और सिख समुदाय पर हमले हुए थे, लेकिन 21 वर्षों के बाद आम नागरिकों पर इतना बड़ा हमला हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा, यह हमला केवल कुछ लोगों की जान लेने तक सीमित नहीं रहा। इसने हमारी आत्मा को गहरी चोट दी है। पर्यटक, जो कश्मीर को अपनी यादों में बसा कर लौटने आए थे, अब ताउम्र इस दर्द को अपने दिल में लिए जीने को मजबूर हो गए हैं। जिन मासूमों ने पहली बार कश्मीर की वादियों को देखने का सपना संजोया था, उनके सपने खून में डूब गए।
आतंकवाद को लेकर दो टूक संदेश
उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण के अंत में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने यह हमला किया है, उनका न कश्मीरियत से कोई लेना देना है और न इंसानियत से। हम सब मिलकर इस मानसिकता को हराएंगे। आतंक का चेहरा चाहे जो भी हो, उसकी कोई जगह न जम्मू-कश्मीर में है और न हिंदुस्तान में। इस विशेष सत्र ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आतंक का कोई धर्म, जाति या क्षेत्र नहीं होता।