प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस से 26 राफेल-एम (Rafale-M) लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इ
Rafale Deal: भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा अब और भी ज्यादा मजबूत होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने हाल ही में भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस से 26 अत्याधुनिक राफेल-एम (Rafale-M) फाइटर जेट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
आज भारत और फ्रांस के बीच इस महत्वपूर्ण रक्षा सौदे पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर होंगे। इस ऐतिहासिक समझौते से भारतीय नौसेना की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमता दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगा सौदे पर हस्ताक्षर
हालांकि फ्रांस के रक्षा मंत्री का भारत दौरा निजी कारणों से रद्द हो गया है, लेकिन इससे राफेल डील पर कोई असर नहीं पड़ा है। तय कार्यक्रम के अनुसार, फ्रांस और भारत के प्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। भारतीय रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनेंगे।
नौसेना के लिए क्यों खास हैं राफेल-एम?
राफेल-एम को विशेष रूप से समुद्री अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। ये लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत से उड़ान भरने और लड़ाई में शामिल होने में सक्षम होंगे। इन फाइटर जेट्स की सबसे बड़ी ताकत है इनकी बहु-भूमिका क्षमता, ये हवाई हमले, समुद्री टारगेटिंग और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी कई भूमिकाएं निभाने में माहिर हैं।
राफेल-एम की खासियतों में से एक यह भी है कि ये कठिन समुद्री परिस्थितियों में भी अपनी श्रेष्ठता कायम रखते हैं, जो भारतीय नौसेना के लिए बेहद आवश्यक है। इन जेट्स की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक बढ़त और मजबूत होगी।
डील का दायरा और लागत
इस डील की कुल लागत लगभग ₹63,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस समझौते के तहत भारत को 22 सिंगल-सीटर राफेल-एम और 4 ट्विन-सीटर ट्रेनर वेरिएंट मिलेंगे। साथ ही इसमें विमानों के रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स सप्लाई, लॉजिस्टिक सपोर्ट, क्रू मेंबरों की ट्रेनिंग और "मेक इन इंडिया" के तहत कुछ पुर्जों के स्थानीय निर्माण का भी प्रावधान शामिल है।
राफेल-एम विमानों की डिलीवरी 2028-29 से शुरू होगी और वर्ष 2031-32 तक सभी 26 विमान भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगे। इस प्रक्रिया के दौरान भारतीय नौसेना के पायलटों और तकनीकी कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा, ताकि वे इन हाई-एंड फाइटर जेट्स का अधिकतम उपयोग कर सकें।
हालिया परीक्षणों से दिखाई तैयारी
राफेल डील के ठीक पहले भारतीय नौसेना ने अपनी युद्ध क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अरब सागर में एक डिस्ट्रॉयर युद्धपोत आईएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इसके अलावा, नौसेना ने एंटी-शिप फायरिंग अभ्यास भी सफलतापूर्वक किया। ये सारे कदम यह संकेत दे रहे हैं कि भारतीय नौसेना किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारतीय सुरक्षा बलों ने अपनी सतर्कता और आक्रामक रुख दोनों को और बढ़ा दिया है। नौसेना के मिसाइल परीक्षण और अब राफेल-एम के अधिग्रहण से भारत ने अपने दुश्मनों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि देश की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
भारतीय वायुसेना के राफेल बेड़े से मिलेगा तालमेल
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही फ्रांस निर्मित 36 राफेल फाइटर जेट का एक बेड़ा है, जो वर्ष 2020 में पूरी तरह से परिचालन में आया था। वायुसेना के अनुभव से नौसेना को इन विमानों के संचालन और रखरखाव में काफी मदद मिलेगी, जिससे समन्वय और दक्षता दोनों बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि राफेल-एम की खरीद न केवल तकनीकी उन्नयन है, बल्कि यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और सामरिक महत्व को भी दर्शाता है। इससे भारतीय नौसेना को दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में सहायता मिलेगी।