राहुल गांधी ने जिस प्रकार देश में सिखों के उत्पीड़न का जिक्र किया है, वह शायद ही किसी को पसंद आएगा। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी हिंदी सिनेमा और क्रिकेट पर भी ध्यान नहीं देते, अन्यथा उन्हें ये जानकारी होती कि केवल राजनीति और सेना में ही नहीं, बल्कि सिनेमा और क्रिकेट जैसे अन्य क्षेत्रों में भी कई पगड़ी धारी सिख मौजूद हैं।
New Delhi: लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी पर लगातार निशाना साधा है, जिसके चलते उन पर अक्सर भारत विरोधी टिप्पणियाँ करने का आरोप लगाया गया है। लेकिन मंगलवार को उन्होंने जिस तरह का बयान भारत में सिखों के उत्पीड़न के संदर्भ में दिया, उससे सिख अधिकारों की बात करने वाले भी असहमत होंगे।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या एक सिख गुरुद्वारे जा सकता है ? ध्यान देने योग्य है कि भारत में सिखों के अधिकारों के बारे में इस तरह की बात पहले कभी नहीं की गई। सिखों को देश में कड़ा पहनने या गुरुद्वारे जाने की अनुमति नहीं है, और शायद ही कोई भारतीय राहुल गांधी के इस बयान से सहमत होगा। राहुल गांधी के इस बयान की देश के विभिन्न सिख नेताओं ने कड़ी निंदा की है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने घोषणा की है कि पार्टी इस मुद्दे पर उन्हें कोर्ट में ले जाने पर विचार कर रही है।
1.देश में सिखों पगड़ी और कड़े के साथ कृपाण पहनकर विमान में चढ़ने की है अनुमति
राहुल गांधी का कहना है कि सिखों को भारत में पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है, लेकिन शायद उन्हें यह जानकारी नहीं है कि सिखों को भारत में न केवल पगड़ी और कड़ा पहनने की अनुमति है, बल्कि उन्हें अपने कृपाण को पहनकर कहीं भी आने-जाने का भी अधिकार प्राप्त है। राहुल गांधी को यह भी ज्ञात नहीं होगा कि सिखों को कृपाण पहनकर फ्लाइट में जाने की अनुमति भी दी गई है। सिख अपने कृपाण के साथ किसी भी सरकारी या निजी कार्यालय में जा सकते हैं। इसके अलावा, कृपाण पहनकर सिख स्कूल, सिनेमा हॉल आदि में भी जा सकते हैं।
कृपाण एक घुमावदार खंजर है, जिसे सिख धर्म में शरीर के बगल में पहना जाता है। 4 मार्च 2022 को सरकार ने इस विषय पर फिर से स्पष्ट आदेश जारी किया था, ताकि किसी को गलतफहमी न हो। बीसीएएस (ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सेक्योरिटी) ने इस आदेश में कहा था कि केवल एक सिख यात्री अपने साथ कृपाण ले जा सकता है, बशर्ते उसकी ब्लेड की चौड़ाई छह इंच से अधिक न हो और कुल लंबाई नौ इंच से अधिक न हो। भारत में घरेलू विमानों में हवाई यात्रा करते समय कृपाण की अनुमति है।
2. स्कूटर-बाइक चलाने वाले सरदार के लिए पगड़ी आवश्यक, हेलमेट नहीं
सिख समुदाय के लोगों को बाइक या स्कूटर चलाते समय पगड़ी पहनने की अनुमति देने के लिए देशभर में कानूनी व्यवस्था की गई है। अगर कोई सरदार पगड़ी पहने हुए स्कूटर या बाइक चला रहा है, तो मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। यह विशेष अधिकार अन्य धर्मों के लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। अगर कोई हिंदू- मुसलमान पगड़ी पहनकर स्कूटर या बाइक चलाता है, तो उसे तुरंत चालान किया जाता है।
3. देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी अधिकतर पगड़ी पहने सिख लोग देखने को मिलते हैं
जब आप देश में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए गूगल करेंगे, तो आपको एक रोचक तथ्य का सामना करना पड़ेगा। देश के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक पंजाब स्थित स्वर्ण मंदिर है। यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि यहां पर आने वाले पर्यटकों में सबसे ज्यादा प्रतिशत हिंदुओं का होता है। गुरु के प्रति श्रद्धा केवल सिखों में नहीं, बल्कि भारत के अन्य धर्मों में भी देखने को मिलती है। दिल्ली, जो देश की राजधानी है, में सबसे अधिक घूमने वाली जगहों में बंगला साहिब गुरुद्वारा प्रमुख है।
सिख धर्म को मिली धार्मिक स्वतंत्रता के कारण, पूरे देश में गुरुद्वारे आसानी से मिल जाते हैं। सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी जहां भी गए, वहां गुरुद्वारों का निर्माण हुआ। महाराष्ट्र में नांदेड़ साहेब, बिहार में पटना साहेब, और दक्षिण भारत में कर्नाटक के बीदर में स्थित गुरुद्वारा श्री नानक झिर साहिब एक ऐतिहासिक स्थल है। यहां हर दिन लगभग 4 से 5 लाख लोग दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा, केरल, तमिलनाडु, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड के गुरुद्वारों में भी भारी भीड़ होती है।
4. देश का पीएम और मंत्रियों की लंबी सूची, जो सिखों का दर्शाती का है योगदान
पगड़ी वाले सरदार हमारे देश की राजनीति, सिनेमा और खेल के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराते हैं। राजनीति में पंजाब के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल तक, हर जगह सरदारों का योगदान स्पष्ट है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश, जहाँ सिखों की संख्या नगण्य है, वहां भी पगड़ीधारी सरदार बलदेव सिंह औलख मंत्री के रूप में सक्रिय हैं। भारत के मुख्यधारा के सिनेमा में भी पगड़ीधारी सरदार जैसे दलजीत दोसाझ और एमी विर्क बहुत लोकप्रिय कलाकार हैं।
इसके अलावा, क्रिकेट टीम में अर्शदीप सिंह के रूप में एक पगड़ी वाले सरदार की उपस्थिति है। यहाँ तक कि देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी सिख समुदाय से जुड़े रहे हैं। हाल ही में राहुल गांधी के बयान का मजबूत जवाब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिया, जो स्वयं एक सिख हैं। इस प्रकार, पगड़ी वाले सरदार न केवल राजनीति में, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ते हैं।
5. मोदी स्वयं पहनते हैं पगड़ी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नियमित रूप से गुरुद्वारों का दौरा करते हैं। हर बार वे पगड़ी पहनकर जाते हैं, जो सिख संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में भी कम से कम दो पगड़ीधारी सरदार हैं, जिनमें हरदीप सिंह पुरी और रवनीत सिंह बिट्टू शामिल हैं। ये दोनों सिख समुदाय के सम्मानित सदस्य हैं और पगड़ी पहनने का गर्व रखते हैं।
पहले से बनाए जा रहे हैं ऐसे झूठ
दूसरे देशों की नागरिकता हासिल करने के लिए कई सिख युवा लंबे समय से धार्मिक उत्पीड़न का सहारा लेते रहे हैं। संगरूर से सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने कई सिखों को पैसे लेकर ऐसे पत्र दिए हैं, जिनमें उनके साथ धार्मिक आधार पर हुए उत्पीड़न का झूठा उल्लेख किया गया है। यह एक पुराना प्रोपेगेंडा है, जो सिख अलगाववादियों द्वारा फैलाया जाता है, जिसमें वे भारत में सिखों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार का जिक्र करते हैं।
लेकिन अब जब राहुल गांधी भी इन विषयों को दोहरा रहे हैं, तो यह मुद्दा और भी गंभीर हो जाता है। राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, और अगर वे यह कहते हैं कि भारत में लड़ाई इस बात की है कि क्या सिख पगड़ी पहन सकेंगे, कड़ा पहन सकेंगे, या गुरुद्वारे जा सकेंगे, तो यह स्थिति केवल हास्यास्पद नहीं, बल्कि चिंताजनक बन जाती है। यह अलगाववाद से कहीं ज्यादा गंभीर मामला है।