Rape Incident News: प्रज्वल रेवन्ना की जमानत ख़ारिज, रेप और यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में रहेंगे जेल में

Rape Incident News: प्रज्वल रेवन्ना की जमानत ख़ारिज, रेप और यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में रहेंगे जेल में
Last Updated: 21 अक्टूबर 2024

कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रज्वल रेवन्ना को एक बड़ा झटका दिया है। रेप और यौन उत्पीड़न के आरोप में आरोपी रेवन्ना की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने निलंबित जनता दल (एस) के नेता प्रज्वल रेवन्ना को झटका देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। रेप और यौन उत्पीड़न के आरोपों के तहत जस्टिस नागप्रसन्ना की अदालत में हुई सुनवाई में यह फैसला लिया गया, जिसे एक महीने पहले सुरक्षित रखा गया था। रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न और रेप के तीन मामले दर्ज हैं, जो उनकी स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।

रेवन्ना के वकील की दलील जमानत की उम्मीद का नया पहलू

इससे पूर्व, न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने एक मामले में रेवन्ना के आवेदन और इसी प्रकार की शिकायतों पर आधारित दो अग्रिम जमानत याचिकाओं पर दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान, अदालत ने वकीलों को निर्देश दिया कि वे पीड़ितों के नाम का उल्लेख करने से बचें और इसके बजाय वे मामले से जुड़े दस्तावेजों में विशिष्ट विवरण का उल्लेख करें। रेवन्ना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने घटनाक्रम के संदर्भ में बताया कि जिस महिला ने प्रज्वल रेवन्ना पर अवैध तरीके से उसके घर से बाहर निकालने का आरोप लगाया, उसने पहले कभी यौन दुर्व्यवहार का कोई आरोप नहीं लगाया था

नवदगी ने आगे दलील दी कि फोरेंसिक रिपोर्ट में कथित वीडियो से रेवन्ना के संबंध का कोई प्रमाण नहीं मिलता और पीड़ित तथा उसकी बेटी के बयानों में विरोधाभास को उजागर किया। नवदगी ने रेवन्ना के फोन में इस तरह के किसी आपराधिक वीडियो के होने से इंकार किया। उन्होंने यह भी दलील दी कि जिस फोन के बारे में सवाल उठाया जा रहा है, वह रेवन्ना के ड्राइवर कार्तिक का है और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की रिपोर्ट अधूरी थी।

रेवन्ना के वकील का दावा आरोप सीधे नहीं, साजिश का हिस्सा

नवदगी ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66 के तहत आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये आरोप रेवन्ना पर सीधे नहीं लगाए गए हैं। उन्होंने शिकायत में देरी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया और कहा कि इस मामले में देरी का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। दूसरी ओर, राज्य के विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रवि वर्मा कुमार ने दावा किया कि रेवन्ना ने पीड़ित को धमकाया था, जिससे शिकायत में देरी हुई। उन्होंने यह भी कहा कि फोरेंसिक साक्ष्य रेवन्ना के खिलाफ हैं, विशेष रूप से पीड़ित की बेटी के बयानों के संदर्भ में।

विशेष लोक अभियोजक का आरोप रेवन्ना ने फोन सौंपने से किया इंकार

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एफएसएल की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए विशेष लोक अभियोजक कुमार के तर्कों को सुना। कुमार ने फिर से याचिका देने वाले की धमकियों और पीड़ित को चुप कराने के प्रयासों का हवाला देते हुए शिकायत में देरी को उचित ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि रेवन्ना ने अपना फोन नहीं सौंपा, जिसमें महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती थी, और वह न्याय से बचने के लिए देश छोड़कर चले गए। इन दलीलों के बाद अदालत ने जमानत याचिकाओं पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा।

गौरतलब है कि रेवन्ना हाल ही में हासन सीट से लोकसभा चुनाव हार गए थे। 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले, रेवन्ना से जुड़े कथित अश्लील वीडियो वाले पेन-ड्राइव के प्रसार के बाद यौन शोषण के आरोपों ने तूल पकड़ा।

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