Section-6A: नागरिकता कानून की धारा 6A की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगी फैसला, जानें कैसा हैं कोर्ट का फोकस और सरकार का रुख?

Section-6A: नागरिकता कानून की धारा 6A की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगी फैसला, जानें कैसा हैं कोर्ट का फोकस और सरकार का रुख?
Last Updated: 17 अक्टूबर 2024

पीठ आज अपना फैसला सुनाएगी। यह धारा असम में भारतीय नागरिकों के संदर्भ में एक विशेष प्रावधान है, जो 1971 के बाद आए प्रवासियों को नागरिकता देने से संबंधित है। इस प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसके अंतर्गत सवाल उठाया गया है कि क्या यह धारा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप है या नहीं।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज सुबह 10:30 बजे नागरिकता कानून की धारा 6A की संवैधानिक वैधता पर फैसला सुनाने जा रही है। यह धारा बांग्लादेशी अप्रवासियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें कहा गया है कि जो लोग 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम आए हैं, वे भारतीय नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। हालांकि, 25 मार्च 1971 के बाद असम में आने वाले विदेशी नागरिक भारतीय नागरिकता के योग्य नहीं हैं।

इस मामले की सुनवाई के दौरान, संविधान पीठ ने विभिन्न पक्षों से दलीलें सुनी हैं, और आज का निर्णय न केवल असम में, बल्कि देश भर में नागरिकता से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यह फैसला असम में प्रवासियों के अधिकारों और नागरिकता की स्थिति को स्पष्ट करने में मदद करेगा।

कोर्ट में पेश की गई ये दलील

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में यह दावा किया गया है कि 1966 के बाद से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से अवैध शरणार्थियों के आगमन ने असम राज्य के जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा हैं।

इन याचिकाओं में यह भी आरोप लगाया गया है कि नागरिकता कानून की धारा 6A के तहत अवैध घुसपैठ को कानूनी मंजूरी दी गई है, जो मूल निवासियों के लिए चिंता का विषय है। इस धारा के अंतर्गत बांग्लादेश से आने वाले कुछ अप्रवासियों को नागरिकता का लाभ दिया गया है, जबकि अन्य को इससे वंचित रखा गया हैं।

इस मामले में कोर्ट और सरकार का रुख

संविधान पीठ ने स्पष्ट किया है कि उसकी जांच पूरी तरह से नागरिकता कानून की धारा 6A की वैधता पर केंद्रित होगी, न कि असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर। अदालत ने बांग्लादेश से अवैध प्रवासन और बिना दस्तावेज वाले व्यक्तियों की पहचान और उन्हें निर्वासित करने के सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी मांगी हैं।

सरकारी हलफनामे में अधिकारियों ने अवैध विदेशी नागरिकों का पता लगाने, हिरासत में लेने और उन्हें निर्वासित करने में आने वाली जटिलताओं को स्वीकार किया। उन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा पर प्रभावी सीमा नियंत्रण में बाधा के रूप में पश्चिम बंगाल की नीतियों का भी उल्लेख किया, जो बाड़ लगाने में समस्या उत्पन्न कर रही हैं।

धारा 6A के तहत, 1 जनवरी 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को पूर्ण नागरिकता अधिकार दिए जाते हैं, जबकि 1966 और 1971 के बीच आए लोगों को समान अधिकार प्रदान किए जाते हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई है कि केवल असम को ही इस प्रावधान के अधीन क्यों रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों में समान स्थिति नहीं हैं।

 

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