Supreme Court: 104 साल के बुजुर्ग व्यक्ति की रिहाई... सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों दी बेल? सच जानकर हो जाएंगे हैरान

Supreme Court: 104 साल के बुजुर्ग व्यक्ति की रिहाई... सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों दी बेल? सच जानकर हो जाएंगे हैरान
Last Updated: 30 नवंबर 2024

रसिक चंद्र मंडल, जो 104 वर्ष के हैं, ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी बुढ़ापे और इससे जुड़ी गंभीर बीमारियों के आधार पर समय से पहले रिहाई का अनुरोध किया। मंडल को 1988 में हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया गया था और वह तब से जेल में सजा काट रहे हैं।

नई दिल्ली: रसिक चंद्र मंडल, जिनका जन्म 1920 में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था, भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण असहयोग आंदोलन के समय बड़े हुए। यह वही साल था जब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ असहयोग आंदोलन का आह्वान किया था। मंडल का जीवनकाल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, विभाजन, और स्वतंत्र भारत के कई दशकों का साक्षी रहा है। हालांकि, एक दुर्भाग्यपूर्ण मोड़ पर, उन्हें 1988 में हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

104 वर्ष की आयु में, जब उनका स्वास्थ्य और बुढ़ापा गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं, उन्होंने अपनी आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने उनकी उम्र और स्थिति को ध्यान में रखते हुए मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत का आदेश दिया।

क्या है पूरा मामला? 

रसिक चंद्र मंडल का मामला भारतीय न्यायिक और सुधार प्रणाली में कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। उनका जीवन और कानूनी संघर्ष न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताओं और मानवीय दृष्टिकोण के साथ इसे संतुलित करने की आवश्यकता को दर्शाता है।

* दोषसिद्धि और सजा: रसिक मंडल को 1988 में हत्या के एक मामले में दोषी पाया गया और 1994 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जब वह 68 वर्ष के थे।

* अपील की गई खारिज: मंडल ने अपनी सजा के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन 5 जनवरी 2018 को हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी।

* स्वास्थ्य और बुढ़ापा: मंडल को उम्र संबंधी बीमारियों के चलते पश्चिम बंगाल के बालुरघाट सुधार गृह में स्थानांतरित किया गया। उन्होंने 2020 में सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर, बुढ़ापे और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए समय से पहले रिहाई की मांग की।

* अंतरिम जमानत की प्रक्रिया: सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार और सुधार गृह के सुपरिटेंडेंट को नोटिस जारी कर उनके स्वास्थ्य की रिपोर्ट मांगी।

* रिहाई की स्थिति: अंततः मानवीय आधार पर मंडल को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया। यह कदम न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो अत्यधिक उम्र और खराब स्वास्थ्य जैसे कारकों को ध्यान में रखती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दी बेल

सुप्रीम कोर्ट में 104 वर्षीय रसिक चंद्र मंडल की याचिका पर सुनवाई हुई, जिनके खिलाफ 1988 में एक हत्या के मामले में 1994 में दोषी ठहराए जाने के बाद वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। मंडल ने अपने बुढ़ापे और स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए समय से पहले रिहाई की मांग की थी। उनका कहना था कि वह अब अपने अंतिम दिन परिवार के साथ बिताना चाहते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी बताया कि मंडल की शारीरिक स्थिति स्थिर है, लेकिन उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को मंडल की स्थिति की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी थी, लेकिन अब उन्हें रिहाई के लिए अंतरिम आदेश दिया गया हैं। 

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