Supreme Court: सरकारी नौकरी में फर्जीवाड़ा गंभीर अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को किया रद्द

Supreme Court: सरकारी नौकरी में फर्जीवाड़ा गंभीर अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को किया रद्द
अंतिम अपडेट: 3 घंटा पहले

सरकारी भर्तियों में धांधली और फर्जीवाड़े पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा परीक्षा में डमी उम्मीदवार का उपयोग करने के आरोपी दो व्यक्तियों को दी गई जमानत को रद्द कर दिया हैं।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करते हुए पेपर सॉल्वर गैंग से जुड़े दो आरोपियों की जमानत को खारिज कर दिया। इनमें से एक अभ्यर्थी था, जबकि दूसरा वह व्यक्ति था जिसने सरकारी नौकरी की परीक्षा में उसके स्थान पर पेपर दिया था। शीर्ष अदालत ने इस अपराध को बेहद गंभीर करार देते हुए कहा कि यह प्रशासन और कार्यपालिका में जनता के विश्वास को कमजोर करता हैं।

कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसी के आधार पर योग्य उम्मीदवारों का चयन होता हैं।

क्या है पूरा मामला?

राजस्थान में सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2022 के दौरान असली उम्मीदवार इंद्राज सिंह की जगह डमी उम्मीदवार सलमान खान ने परीक्षा दी थी। इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया। निचली अदालत ने इस कृत्य को गंभीर मानते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन राजस्थान उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए दोनों को जमानत दे दी कि—

* असली अभ्यर्थी का चयन नहीं हुआ था।
* दोनों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
* जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रद्द की जमानत?

राजस्थान सरकार ने इस जमानत को चुनौती दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने गंभीरता से लिया। अदालत ने कहा कि एक बार हाईकोर्ट से जमानत मिल जाने के बाद उसे आमतौर पर रद्द नहीं किया जाता, लेकिन इस मामले में अपराध के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए जमानत रद्द की जानी जरूरी हैं।

फैसले में क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

फैसला लिखते हुए जस्टिस संजय करोल ने कहा-भारत में सरकारी नौकरी के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्धा है। परीक्षा प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी है, ताकि सही और योग्य उम्मीदवारों को ही सरकारी पदों पर नियुक्ति मिले। जब इस तरह की धोखाधड़ी होती है, तो न केवल ईमानदार उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होता है, बल्कि पूरे सिस्टम पर जनता का विश्वास भी कमजोर होता हैं।

ट्रायल कोर्ट के फैसले का समर्थन

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने परीक्षा की निष्पक्षता से समझौता किया और इससे उन हजारों अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ, जिन्होंने ईमानदारी से मेहनत करके परीक्षा दी थी। अदालत ने कहा कि भले ही आरोपियों पर अपराध सिद्ध होने तक निर्दोष माने जाने का सिद्धांत लागू होता है, लेकिन इस तरह के गंभीर मामलों में कानून को अपनी प्रक्रिया पूरी करने देनी चाहिए। 

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