Teachers Day 2024: 5 सितंबर को मनाया जाएगा टीचर्स डे, इन कविताओं के साथ करें स्पीच की तैयारी, अध्यापक के प्रति रखें हमेशा आदर का भाव

Teachers Day 2024: 5 सितंबर को मनाया जाएगा टीचर्स डे, इन कविताओं के साथ करें स्पीच की तैयारी, अध्यापक के प्रति रखें हमेशा आदर का भाव
Last Updated: 04 सितंबर 2024

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान विद्वान, शिक्षक और दार्शनिक थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तिरुत्तनी में हुआ था। उनकी जयंती के अवसर पर हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का अवसर होता हैं।

एजुकेशन डेस्क: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती (5 सितंबर) पर मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस को इस दिन की महत्वता और शिक्षकों की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक बेहतरीन अवसर माना जाता है। इस दिन को खास बनाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि भाषण, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, और सम्मान समारोह। शिक्षकों के योगदान को सराहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का यह दिन एक अद्वितीय अवसर हैं।

शिक्षक दिवस के स्पीच का प्रारूप

प्रिय शिक्षकों, छात्रों और सम्मानित अतिथियों, सुप्रभात!

आज हम यहाँ एक विशेष दिन को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं, जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में जानते हैं। 5 सितंबर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है, जिन्होंने हमारे देश और समाज में शिक्षा और दार्शनिकता की ऊँचाइयों को छूआ। डॉ. राधाकृष्णन केवल एक महान शिक्षक थे, बल्कि एक प्रेरणादायक दार्शनिक भी थे। उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और उनका ज्ञान ने उन्हें एक आदर्श शिक्षक बना दिया। उनका मानना था कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह जीवन की गहरी समझ और नैतिक मूल्यों को भी विकसित करती है।

आज, शिक्षक दिवस के अवसर पर, हम अपने सभी शिक्षकों को धन्यवाद देना चाहते हैं, जो हमें केवल पाठ्यक्रम ही नहीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य भी सिखाते हैं। शिक्षकों की मेहनत, समर्पण और स्नेह के बिना हमारा व्यक्तिगत और शैक्षणिक विकास संभव नहीं होता। हमारे शिक्षकों ने हमें केवल ज्ञान की ओर मार्गदर्शन किया, बल्कि जीवन के हर पहलू में एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी। उनके प्रयासों और बलिदानों के लिए हम हमेशा कृतज्ञ रहेंगे।

जैसा कि हम जानते हैं कि जिस प्रकार बिना बादल के बरसात नहीं हो सकती है, उसी प्रकार बिना शिक्षक के हमारा जीवन भी अंधकारमय और अधूरा रहेगा। मैं एक बार फिर से अपने सभी गुरुजनों का आभार व्यक्त करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं, धन्यवाद।"

गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर

यह दोहा गुरु के महत्व को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त करता है। कबीर दास ने गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया है, क्योंकि गुरु ही हमें ज्ञान और सच्चाई की राह दिखाते हैं। इस दोहे में कबीर दास ने कहा है:

"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाएं,

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।"

इसका अर्थ है कि जब गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हों, तो हम गुरु के चरणों को प्रणाम करेंगे क्योंकि गुरु ने हमें भगवान का ज्ञान और दर्शन कराया है। इस प्रकार, गुरु का स्थान अत्यंत सम्माननीय और दिव्य माना जाता है। यह दोहा हमें गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान की गहराई को दर्शाता है और शिक्षकों के प्रति हमारी कृतज्ञता को अभिव्यक्त करता हैं।

 

Leave a comment