यह माना जाता है कि जहां पर परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर स्थित है, वहां पहले कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका के साथ अपने आश्रम में निवास करते थे। आज इस मंदिर में शिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ को कांवड़ चढ़ाने के लिए भक्त हरिद्वार से गंगाजल लेकर आते हैं। हर सोमवार को बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां एकत्रित होते हैं।
बागपत: सांसद डा. राजकुमार सांगवान की पहल पर आयुक्त एवं निदेशक धर्मार्थ कार्य विभाग ने बागपत के पुरा महादेव मंदिर के विकास के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर डीएम से रिपोर्ट मांगी है। यदि वास्तव में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह विकास कार्य किए जाएंगे, तो यह न केवल पुरा महादेव मंदिर को बल्कि बागपत जिले को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक बनेगा।
सांसद की मुख्यमंत्री से हुई महत्वपूर्ण मुलाकात
सांसद ने पिछले महीने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने पुरा महादेव मंदिर की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने यहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकास की मांग की थी। शासन के आदेश पर आयुक्त एवं निदेशक धर्मार्थ कार्य विभाग ने बागपत के DM से पुरा महादेव मंदिर की जानकारी मांगी।
सांसद ने बताया कि शासन ने DM से मंदिर की भूमि, भवन क्षेत्र, बिल्डअप क्षेत्र की स्थिति, मंदिर की भूमि का सार्वजनिक या व्यक्तिगत होना, संबंधित राजस्व अभिलेख, मंदिर की उम्र और उसके प्रबंधन के बारे में जानकारी मांगी है।
मंदिर के क्षेत्रफल से संबंधित जानकारी की गई मांग
यदि मंदिर सोसाइटी के तहत पंजीकृत है, तो उसकी पंजीकरण संख्या क्या है? इसके अलावा, मंदिर से संबंधित अन्य संपत्तियों जैसे कृषि भूमि, दुकानों, अस्पतालों और स्कूलों का क्षेत्रफल जैसी जानकारी भी मांगी गई है। पुरा महादेव मंदिर परिसर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित करने से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। इससे पुरा महादेव को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी।
जहां प्रभु श्रीराम के घोड़े को रोका गया था
सांसद डा. राजकुमार सांगवान ने बताया कि पुरा महादेव मंदिर से तीन किलोमीटर की दूरी पर बालैनी में महर्षि वाल्मीकि जी का प्राचीन मंदिर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सीता मैया को वनवास मिला, तो वह यहीं पर आकर रहीं थीं। इसी स्थान पर लव और कुश का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम ने अपने अश्वमेध यज्ञ के दौरान घोड़ा छोड़ा, जो वाल्मीकि मंदिर के निकट पहुंचने पर लव-कुश ने उसे रोक लिया था।
इसका मतलब यह है कि पुरा महादेव मंदिर और इसके आसपास का क्षेत्र ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से पुरा मंदिर में शिव की पूजा एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा अवैतनिक रूप से की जा रही है। वर्तमान में इस मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य पंडित जय भगवान शर्मा, पंडित मनोज शर्मा और पंडित आशुतोष शर्मा द्वारा किया जा रहा है।
किसान भवन: श्रद्धालुओं के लिए दो साल पहले की गई व्यवस्था
दो साल पहले तक पुरा महादेव मंदिर में दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रात में रुकने और विश्राम करने की कोई व्यवस्था नहीं थी। लेकिन, दो वर्ष पूर्व, रालोद नेता सुनील रोहटा ने अपने प्रयासों से एक धर्मशाला का निर्माण कराया। इस धर्मशाला में 10 कमरे, दो बड़े हॉल, महिलाओं और रुकने वालों के लिए शौचालय तथा कांवड़ियों के मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचने के लिए एक कॉरिडोर बनाया गया।
यह धर्मशाला पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह जी की याद में स्थापित की गई थी और इसे किसान भवन नाम दिया गया। अब इस किसान भवन का विस्तार करते हुए आठ नए कमरे, एक बड़ा हॉल और शौचालय का निर्माण तेजी से हो रहा है। दूसरे भवन का कारीडोर भी तैयार हो चुका है। इसे इस वर्ष कांवड़ियों की सेवा के लिए खोला गया है।