UPPSC Exam Controversy: नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया विवाद पर ‘नरम’ हुआ UPSC, कहा- 'जो जरूरी होगा वो स्पष्ट किया जाएगा, अभ्यर्थियों से मांगा सुझाव

UPPSC Exam Controversy: नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया विवाद पर ‘नरम’ हुआ UPSC, कहा- 'जो जरूरी होगा वो स्पष्ट किया जाएगा, अभ्यर्थियों से मांगा सुझाव
Last Updated: 13 नवंबर 2024

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की प्रतियोगी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कई अभ्यर्थियों का मानना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष मूल्यांकन में बाधा उत्पन्न करती हैं।

प्रयागराज: नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) और अभ्यर्थियों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। यह प्रक्रिया विभिन्न शिफ्टों में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में कठिनाई स्तर के अंतर को संतुलित करने के लिए अपनाई जाती है, ताकि सभी अभ्यर्थियों के अंकों का निष्पक्ष मूल्यांकन हो सके। आयोग का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन एक पारदर्शी और संतुलित पद्धति है, जिसे राधाकृष्णन समिति जैसी प्रतिष्ठित समितियों की अनुशंसा प्राप्त है। आयोग ने इसे मान्य और प्रमाणिक प्रक्रिया बताते हुए कहा कि इससे निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती हैं।

UPPSC ने क्या कहा?

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को लेकर असंतुष्ट अभ्यर्थियों से सुझाव आमंत्रित किए हैं ताकि इस प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सके। आयोग ने कहा है कि अगर बेहतर सुधार-सुझाव आते हैं, तो उन पर विचार कर उन्हें विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा जाएगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि जो भी सुधार अभ्यर्थियों के हित में आवश्यक होंगे, उन्हें अपनाने का प्रयास किया जाएगा।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य विभिन्न पालियों में आयोजित परीक्षाओं के कठिनाई स्तर में असमानता को संतुलित करना है। जब परीक्षाएं एक से अधिक पालियों में होती हैं, तो प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर में भिन्नता संभव है, और नॉर्मलाइजेशन से इन भिन्नताओं को संतुलित कर अभ्यर्थियों को निष्पक्षता से आंका जा सकता है। प्रवक्ता के अनुसार, यह प्रक्रिया सिस्टम-ड्रिवेन है, जिसमें मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम रखा गया हैं।

इसमें अभ्यर्थियों के रोल नंबर को एक यूनिक नंबर में बदल दिया जाता है, जिससे मूल्यांकन में किसी भी प्रकार के पक्षपात की गुंजाइश न रहे। यह पद्धति कई प्रतिष्ठित भर्ती संस्थानों और परीक्षाओं में पहले से ही अपनाई जा चुकी है, जैसे कि नीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में, जहां राधाकृष्णन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार दो पालियों में परीक्षा कराई जाती है और नॉर्मलाइजेशन का उपयोग किया जाता है। UPPSC नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को एक निष्पक्ष प्रणाली के रूप में देखता है और अभ्यर्थियों की चिंताओं को भी गंभीरता से ले रहा है, ताकि उनका विश्वास बरकरार रहे और निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित हो सके।

आयोग ने अभ्यर्थियों से मांगा सुझाव

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते दौर की आवश्यकता को देखते हुए पीसीएस मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय को हटा दिया गया है। प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत होती थी कि स्केलिंग प्रक्रिया के कारण मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के छात्रों को कम अंक मिलते हैं, जबकि विज्ञान विषय और अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के अंक बढ़ जाते हैं। अब वैकल्पिक विषय हटाने से इस असमानता का समाधान हो गया हैं।

प्रवक्ता ने यह भी बताया कि परीक्षाओं की निष्पक्षता के संदर्भ में अभ्यर्थियों ने जोर देकर कहा था कि स्वयं-वित्तपोषित विद्यालयों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए और परीक्षा केंद्र जिला मुख्यालय से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। आयोग ने अभ्यर्थियों की इस मांग को उचित मानते हुए इन सुझावों के अनुसार आवश्यक बदलाव किए हैं।

प्रारंभिक परीक्षा में 15 गुना अभ्यर्थी को बुलाया

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग की परीक्षाओं के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को और भी मजबूत और पारदर्शी बनाया गया है। शुचितापूर्ण मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं पर रोल नंबर की जगह एक विशेष कोड दिया जाता है, जिससे परीक्षक को यह पता नहीं चलता कि वह किस अभ्यर्थी की कॉपी जाँच रहा है। इस प्रक्रिया से मूल्यांकन में किसी भी प्रकार का पक्षपात या भेदभाव रोकने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा, आयोग ने वन टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) की व्यवस्था भी लागू की है, जिसके तहत अब तक 22 माह में लगभग 19,34,027 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जो कि इस प्रणाली की लोकप्रियता और कार्यकुशलता को दर्शाता हैं।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि पहले पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाता था। सुधार की दिशा में आयोग ने इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है, ताकि अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को अवसर मिल सके और वे मुख्य परीक्षा में भाग ले सकें। इसके अतिरिक्त, पीसीएस के साक्षात्कार में एक पद के लिए पहले केवल दो अभ्यर्थियों को बुलाया जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर तीन कर दिया गया है। इस बदलाव से अधिक अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में भाग लेने का मौका मिलेगा, जिससे चयन प्रक्रिया को और भी पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की कोशिश की जा रही हैं। 

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