आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर अहम सुनवाई होनी है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की दो सदस्यीय पीठ दोपहर 2 बजे से इस मामले पर सुनवाई शुरू करेगी। इस पीठ के समक्ष वक्फ बोर्ड के समर्थन और विरोध में दायर कुल 10 याचिकाएं लिस्ट की गई हैं।
Waqf Act 2025: भारत में वक्फ कानून को लेकर एक बार फिर से बड़ा संवैधानिक विवाद खड़ा हो गया है। आज सुप्रीम कोर्ट में इस विवादास्पद मुद्दे पर सुनवाई होने जा रही है, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ दोपहर 2 बजे से वक्फ कानून से जुड़ी 10 अहम याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
हालांकि कोर्ट में कुल 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिनमें कुछ में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को असंवैधानिक करार देकर उसे पूरी तरह रद्द करने की मांग की गई है, तो कुछ याचिकाओं में इसके कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की अपील की गई है।
10 मुख्य बिंदुओं में समझें वक्फ कानून विवाद
1. क्या है मामला
4 अप्रैल 2025 को संसद से पास हुआ वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2025, 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी और 8 अप्रैल से लागू कर दिया गया। इस कानून के खिलाफ देशभर में विरोध और याचिकाएं दर्ज की गईं।
2. कौन-कौन याचिकाकर्ता
सुप्रीम कोर्ट में जिन प्रमुख नेताओं और संगठनों ने याचिकाएं दाखिल की हैं, उनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, RJD सांसद मनोज कुमार झा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, और एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स शामिल हैं।
3. क्या है आरोप
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नया कानून वक्फ संपत्तियों को दी गई संवैधानिक सुरक्षा को समाप्त करता है और यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है।
4. AIMIM का तर्क
ओवैसी ने कोर्ट में कहा कि वक्फ की संपत्तियों को दी गई सुरक्षा हटाकर, जबकि अन्य धर्मों की संपत्तियों को छूट देना, संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन है।
5. AAP विधायक की आपत्ति
अमानतुल्लाह खान ने कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता के खिलाफ है।
6. सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने इस कानून को केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित बताया है, न कि धार्मिक मामलों से। सरकार ने कहा कि संशोधन पारदर्शिता और गरीबों के कल्याण के लिए ज़रूरी है।
7. राज्यों का रुख
हरियाणा, मध्य प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जैसे 7 राज्यों ने कानून के पक्ष में याचिकाएं दाखिल की हैं।
8. संसदीय प्रक्रिया
सरकार का दावा है कि विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया और इसमें कई विपक्षी सुझाव भी शामिल किए गए।
9. देशभर में विरोध
संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए। सबसे हिंसक विरोध पश्चिम बंगाल में हुआ, जहां हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई।
10. ममता बनर्जी की घोषणा
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ किया है कि राज्य में वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू नहीं किया जाएगा।
क्या है आगे का रास्ता?
आज की सुनवाई में कोर्ट यह तय करेगा कि कानून पर रोक लगाई जाए या नहीं। साथ ही संविधान के अनुच्छेदों के आधार पर इस कानून की वैधता की समीक्षा होगी। इस मामले का फैसला न सिर्फ मुस्लिम समुदाय, बल्कि भारत में धार्मिक और संवैधानिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। यह मामला भारत के धार्मिक और संवैधानिक ढांचे के संतुलन, अल्पसंख्यक अधिकारों और धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा पर वैश्विक बहस को जन्म दे सकता है।
यह न सिर्फ भारतीय न्याय प्रणाली के संतुलन की परीक्षा है, बल्कि दुनिया भर में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की निगरानी कर रहे संगठनों की भी निगाहें इसपर हैं।